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सीवी रामन -प्रकाश के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए सर सीवी रमन को वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था. उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई होने का गौरव भी प्राप्त है. उनका आविष्कार उनके नाम पर ही रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है. रमन प्रभाव का उपयोग आज भी वैज्ञानिक क्षेत्रों में किया जा रहा है. जब भारत से अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान ने चांद पर पानी होने की घोषणा की तो इसके पीछे भी रमन स्पैक्ट्रोस्कोपी का ही कमाल था. फॉरेंसिक साइंस में भी रमन प्रभाव काफी उपयोग साबित हो रहा है. अब यह पता लगाना आसान हो गया है कि कौन-सी घटना कब और कैसे हुई थी.
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1.होमा जहाँगीर भाभा (Homa Jahangir Bhabha) — भाभा को भारतीय परमाणु (Atom) का जनक माना जाता है इन्होने ही मुम्बई में भाभा परमाणु शोध संस्थान (Bhabha Atomic Research Institute) की स्थापना की थी
2.विक्रम साराभाई (Vikram Sarabhai) — भाभा के बाद वे परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बने वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (Indian Space Research) राष्ट्रीय समिति के प्रथम अघ्यक्ष थे थुम्बा में स्थित इक्वेटोरियल रॉकेट प्रक्षेपण केन्द्र (Equatorial Rocket Launch Center) के वे मुख्य सूत्रधार थे
3.एस . एस . भटनागर (S . S . Bhatnagar) — इन्हें विज्ञानं प्रशारक के रूप में अपने शानदार कार्य के लिये जाना जाता है इन्होंने देश में वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं (Scientific laboratories) की स्थापना की थी
4.सतीश धवन (Satish Dhawan) — सतीश धवन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया थाध्वनि के तेज रफ़्तार (सुपरसोनिक) विंड टनेल के विकास में इनका प्रयास निर्देशक रहा है
5.जगदीश चंद्र बसु (Jagdish Chandra Basu) — वे भारत के पहले वैज्ञानिक शोधकर्त्ता थे 1917 में जगदीश चंद्र बोस को “नाइट” की उपाधि प्रदान की गई तथा शीघ्र ही भौतिक तथा जीव विज्ञान के लिए ‘रॉयल सोसायटी लंदन’ के फैलो चुन लिए गए इन्होंने ही बताया कि पौंधों में जीवन होता है
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