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मेरे विद्यालय का पुस्तकालय पर निबंध :-
पुस्तकालय शब्द पुस्तक ओर आलय से मिलकर बना है इसका अर्थ है – पुस्तकों का घर । चूंकि पुस्तकों से हमें ज्ञान प्राप्त होता है इसलिए पुस्तकालय को ‘ ज्ञान का सागर ‘ कहा जा सकता है । जिस प्रकार सागर में छोटी-घड़ी सभी नदियों का जल समाहित होता है उसी प्रकार पुस्तकालय में विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सभी प्रकार की पुस्तकें संग्रहित होती हैं ।
मेरे विद्यालय में भी एक मध्यम कोटि का पुस्तकालय है । यहाँ प्राचीन एवं नवीन पुस्तकों का अच्छा संग्रह है । यहाँ साहित्य और भाषा, विज्ञान, संस्कृति, इतिहास, भूगोल, समाजशास्त्र, सामान्य ज्ञान आदि विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें एकत्रित हैं । प्रेमचंद, सुभद्राकुमारी चौहान, रामधारी सिंह दिनकर, जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, शेक्सपीअर, वर्ड्सवर्,तुलसीदास जेसे ख्यातिप्राप्त साहित्यकारों की पुस्तकें यहाँ सुलभ हैं । चित्रकला,पाककला, वागवानी आदि विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें भी यहाँ अच्छी संख्या में हैं ।
विद्यालय के सभी विद्यार्थी पुस्तकालय के सदस्य होते हैं । वे यहाँ से मनपसंद पुस्तकें पड़ने के लिए घर लै जा सकते हैं । कोई छात्र जब पुस्तकालय के अध्यक्ष से पुस्तकें माँगता है तो उपलब्ध होने पर वे तुरंत दे देते हैं । पुस्तकें देते समय छात्र के कार्ड तथा पुस्तकालय की बही पर पुस्तक का नाम एवं तारीख लिखी जाती है । यह भी दर्ज होता है कि पुस्तक कितने दिन के लिए दी जा रही है । यदि कोई छात्र निर्धारित समय पर पुस्तकें नहीं लौटाता है या कटी-फटी हालत में लौटाता है तो उस छात्र पर जुर्माना लगाया जाता है । कुछ छात्र पुस्तकों को सही दशा में नहीं रखते या उस पर कलम-पेसिल से जगह-जगह निशान लगा देते हैं । यह अच्छी बात नहीं है ।
इसलिए ऐसे छात्रों को जुर्माना भरने के लिए भी तैयार रहना चाहिए । लेकिन उचित तो यही है कि ज्ञान देनेवाली पुस्तकें हमेशा अच्छी दशा में रखी जाएँ । पुस्तकालय की पुस्तकों को ठीक हालत में रखना सभी छात्रों की जिम्मेदारी है ।
मेरे विद्यालय में पुस्तकालय एक बड़े से कक्ष में है । यहाँ इस्पात की कई अलमारियों हैं । अलमारियों में दराज बने हैं जिनमें पुस्तकें व्यवस्थित क्रम में रखी हुई हैं । पुस्तकालय के इंचार्ज इनका पूरा लेखा-जोखा रखते हैं । पुस्तकों को चूहों तथा दीमक से बचाने के लिए यहाँ समुचित प्रबंध किया जाता है । हर वर्ष यहाँ नई पुस्तकें आती रहती हैं जिससे पुस्तकालय में पुस्तकों का अभाव नहीं हो पाता ।
पुस्तकालय में पुस्तकों के अलावा पत्र-पत्रिकाएँ एवं दैनिक समाचार-पत्र भी आते हैं । शिक्षक एवं विद्यार्थी यहाँ बैठकर इनका अध्ययन करते हैं । पुस्तकालय में पाठकों के बैठने के लिए मेज एवं कुर्सियाँ लगी हुई है । पढ़ते समय हर कोई शांति बनाए रखता है ताकि दूसरों को पड़ने में किसी प्रकार का व्यवधान न हो । यह नियम विद्यालय के पुस्तकालय के साथ ही नहीं अपितु सभी प्रकार के पुस्तकालयों पर समान रूप से लागू होता है ।
विद्यालय का पुस्तकालय छात्र-छात्राओं के लिए बहुत उपयोगी है । यहाँ से निर्धन एवं मेधावी छात्र-छात्राओं को पाठ्य-पुस्तकें मुफ्त वितरित की जाती हैं । अन्य विद्यार्थियों को भी पढ़ने के लिए कुछ अवधि तक पुस्तकें मुफ्त दी जाती हैं । विद्यार्थी अपने मनोरंजन के लिए यहाँ से कहानी कामिक्स तथा पत्रिका घर ले जा सकते हैं । विभिन्न प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होने से शिक्षकों को अध्ययन और अध्यापन में बहुत मदद मिलती है ।
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