Please someone give me essay on vidyarthi jivan.
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विद्यार्थी और शिक्षा का बड़ा ही गहरा संबंध है। शिक्षा मनुष्य के लिए खान-पान से भी अधिक आवश्यक है। शिक्षा प्रत्येक समाज और राष्ट्र के लिए उन्नति की कुंजी है। अज्ञानता मनुष्य के लिए अभिशाप है। शिक्षा के द्वारा ही हम सत्य और असत्य को परख पाते हैं। शिक्षा जीवन-विकास की सीढ़ी है।
मनुष्य के जीवन का वह समय, जो शिक्षा प्राप्त करने में व्यतीत होता है, ‘विद्यार्थी जीवन’ कहलाता है। यों तो मनुष्य जीवन के अंतिम क्षणों तक कुछ न कुछ शिक्षा ग्रहण करता ही रहता है। परंतु उसके जीवन में नियमित शिक्षा की ही अवधि निश्चित अवधि थी। मनुष्य का संपूर्ण जीवन सौ वर्षों का माना जाता था। पूरे जीवन को कार्य की दृष्टि से चार भागों में बांटा गया था। ब्रह्चर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास। यह पहला ब्रह्चर्य-काल ही विद्यार्थी जीवन माना जाता था।
मनुष्य के जीवन का वह समय, जो शिक्षा प्राप्त करने में व्यतीत होता है, ‘विद्यार्थी जीवन’ कहलाता है। यों तो मनुष्य जीवन के अंतिम क्षणों तक कुछ न कुछ शिक्षा ग्रहण करता ही रहता है। परंतु उसके जीवन में नियमित शिक्षा की ही अवधि निश्चित अवधि थी। मनुष्य का संपूर्ण जीवन सौ वर्षों का माना जाता था। पूरे जीवन को कार्य की दृष्टि से चार भागों में बांटा गया था। ब्रह्चर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास। यह पहला ब्रह्चर्य-काल ही विद्यार्थी जीवन माना जाता था।
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