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Chapter- Jin khoya Tin paya
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- जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ। संत कबीरदास की धरती मानों उन्हीं के दोहे को दोहरा रही है। हालांकि दोहे का अर्थ होता है, जो प्रयत्न करते हैं, वे कुछ न कुछ वैसे ही पा ही लेते हैं जैसे कोई मेहनत करने वाला गोताखोर गहरे पानी में जाता है और कुछ ले कर आता है। लेकिन कुछ बेचारे लोग ऐसे भी होते हैं जो डूबने के भय से किनारे पर ही बैठे रह जाते हैं और कुछ नहीं पाते। वादों, दावों के बीच मगहर आज भी विकास के लिए तरस रहा है।
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