please tell me summary of this poem in hindi
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प्रस्तुत कविता मैं कवि धनवान को धन धन दान से तुलना की है निर्बल व्यक्ति
को निस्सहाय तथा निर्धन व भूखा की स्थिति दयनीय बताकर यह समझाना चाहता है की मनुष्य के पास हाथ पैर समझ होने पर भी यह मनुष्य उन भेड़ बकरियों की तरह है जो हर वक्त मनुष्य के काम आते हैं कभी उनका आसानी से शिकार कर कोई भी मांसाहारी जानवर, पंछी मनुष्य खा जाते हैं। क्योंकि उनके अंदर हर वक्त यह भय रहता है लेकिन जब हम जंगल के राजा शेर की बात करते हैं तो उन्हें सताने वाला लाखों में से एक होता है। कोई उन्हें आसानी से ना तो शिकार कर सकता है और ना ही उसके अंदर भय जगा सकता है। कवि मनुष्य को उस शेर की तरह बनना सिखाता है।
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