Hindi, asked by vaishnavi432, 2 months ago

please tell me the answer in short...l will mark brainlist​

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Answered by naitiksharma192
2

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लक्ष्मण जी परशुराम जी से धनुष को तोड़ने का व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि हमने अपने बालपन में ऐसे अनेकों धनुष तोड़े हैं तब हम पर कभी क्रोध नहीं किया। ... यहाँ विश्वामित्र जी परशुराम की बुद्धि पर मन ही मन व्यंग्य कसते हैं और मन ही मन कहते हैं कि परशुराम जी राम, लक्ष्मण को साधारण बालक समझ रहे हैं।

Answered by vaishnavibarad8
1

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thank you so much dear.fo||ow me on aatmagyan app.my I'd is vaishnavi barad..

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