please write a hindi poem of rabindranath tagore
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Title
मन जहाँ डर से परे है
मन जहाँ डर से परे है
और सिर जहाँ ऊँचा है ;
ग्यान जहाँ मुक्त है ;
और जहाँ दुनिया को
संकीर्ण घरेलू दीवारों से
छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है ;
जहाँ शब्द सच की गहराइयों से निकलते हैं;
जहाँ थकी हुई प्रयासरत की बाहें
त्रुटि हीनता की तलाश में हैं ;
जहाँ कारण की सप्षट धारा है
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने में अपना रास्ता खो नहीं चुकी है ;
जहाँ मन हमेशा व्यापक होते विचार और सक्रियता में
तुम्हारे जरिए आगे चलता है
और आजादी के स्वर्ग में पहुँच जाता है
ओपिता
मेरे देश को जागृत बनाओ
I didn't understood hope you can understand.
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