Hindi, asked by rishita171, 1 year ago

please write an essay on satsangati in hindi

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Answered by krish2819
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व्यक्ति की पहचान उसके मित्रों से होती है जिनके साथ वह उठता बैठता है, समय बिताता है। अगर इंसान उन्नति करना चाहता है, सुख पाना चाहता है तो वह सदैव अच्छे लोगों का साथ करे।

इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं। जब एक भटका हुआ व्यक्ति  सत्संगति के कारण राह पर आ गया। ऋषि वाल्मीकि को ही लें। पहले वे डाकू थे। सप्तऋषि के वचनों से प्रभावित होकर वह तपस्वी बन गये और बाद में उन्होंने रामायण की रचना की। इसी प्रकार अंगुलिमाल एक डाकू था। महात्मा बुद्ध से साक्षात्कार होने पर वह उनके वचनों से प्रभावित हो उनकी शरण में आ गया। उसका जीवन ही बदल गया।

उदाहरण देने के लिये इतिहास का सहारा न भी लें, अपने आस पास ही देखें, तो पायेंगे कि जिसने सत्संग किया, वह तर गया। गन्दे नाले का पानी गंगा नदी में गिरता है तो उसक अपना अस्तित्व मिट जाता है अर्थात वह भी गंगाजल हो जाता है। स्वाति की बूँद सीप में गिरती है तो मोती बन जाती है। पारस के स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है।

हमें सदैव समाज के उन्नत, बुद्धिमान एवं सज्जन व्यक्तियों की संगति में समय बिताना चाहिये। इससे हमारे व्यक्त्वि का विकास होता है। विचारों को सही दिशा मिलती है। आत्मा का भोजन सत्संगति है। सत्संगति के प्रभाव से ही हम सुखद, संतुष्ट और शान्त जीवन बिताने कें समर्थ होंगे।

अच्छा साथ हमें बुरे रास्ते से हटाकर अच्छे रास्ते पर ले जाता है। जरूरत पड़ने पर सही परामर्श देता है, सदैव सत्कर्मों की प्रेरणा देता है। सत्संगति वह पतवार है जो हमारे जीवन की नाव को भंवर और तूफान में फंसने नहीं देती। हमें किनारे तक पहुँचाने में सहायक होती है।

सत्संगति पर लघु निबंध 200 शब्दों में, Short Essay on Satsangati in 200 words in Hindi

मनुष्य पर जितना प्रभाव उसकी संगती का पड़ता है उतना किसी और बात का नहीं पड़ता. इसलिए भारतीय परंपरा में बचपन से सत्संगति पर बहुत जोर दिया गया है. सही मायनों में देखा जाए तो सत्संगति से संस्कार प्रबल होते हैं और बुरी संगती से चरित्र में दोष उत्पन्न होते हैं.

सत्संगति शब्द “सत्’ अर्थात उत्तम और “संगति” अर्थात साहचर्य (साथ) से मिलकर बना है. यानि उत्तम व्यवहार एवं अच्छे चरित्र वाले लोगों के साथ रहना ही सत्संगति करना है.

सत्संग से सदाचार, धर्मभावना, कर्त्तव्यनिष्ठा और सदभावना आदि गुणों का उदय होता है । सत्संग से आत्मा पुष्ट और पवित्र होती है । सत्संग करने वाला व्यक्ति मन, वचन और कर्म से एक जैसा व्यवहार करता है । उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता । सत्संग की महिमा सभी संतों ने गाई है । मन की स्व्छता बिना सत्संग के नहीं आ सकती।

कुसंगति का मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है । कुसंगति से सदा हानि ही होती है । मनुष्य कितना ही सतर्क और सावधान रहे कुसंगति काजल कि कोठरी के समान है । सत्संग के अनेक साधन हैं । सभी धर्मों की पुस्तकें सत्संग पर बल देती हैं । सत्संग ही कल्याण मार्ग है । अतः सभी को सत्संग मार्ग पर चलना चाहिए ।

सत्संगति पर 150 शब्दों में निबंध, Essay on Satsangati in 150 words

जीवन में हमें हर समय किसी न किसी मित्र या साथी की आवश्यकता ज़रूर होती है। हमारे मित्र की अच्छे-बुराई का प्रभाव हमारे ऊपर अवशय पड़ता है. मित्र के बिना जीवन अधूरा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी मित्रता कुसंग लोगों के साथ रखे। एक कुसंग संगति का मित्र विष के समान होता है और एक सत्संगति का मित्र औषधि।

सत्संगति में रहकर हम चरित्रवान बन सकते है। अगर हम सत्संगति में रहते है तो हम अपनी ज़िंदगी में कभी गलत रास्ता नही पकड़ेंगे। एक सत्संगति वाला मित्र हमारा मार्गदर्शक होता है।

आज कल सत्संगति पाना बहुत कठिन होता जा रहा है। हमें दोस्ती करते हुए यह नही सोचना चाहिए कि वह गरीब है या अमीर है। हमें दूसरे व्यक्ति की भावनाओँ को समझ कर ही उससे दोस्ती करनी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि वो व्यक्ति अच्छे स्वाभाव एवं चरित्र वाला न हो।

Answered by sapnachaudhary602
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Explanation:

सत्संगति का अर्थ है- “अच्छी संगति”. वास्तव में सत्संगति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- 'सत्' और 'संगति' अर्थात अच्छी संगति. अच्छी संगति का अर्थ है- ऐसे सत्पुरुषों के साथ निवास, जिनके विचार अच्छी दिशा की ओर ले जाए. कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन

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