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1) स्थानीय व्यंजनों की दुनिया सीमित होती जा रही है, क्योंकि उनमें गुणवत्ता में कमी, नए-नए व्यंजनों की उपलब्धता तथा समय की कमी के कारण व्यंजनों को कम तैयार करना है। ... इसी के साथ ध्यान देने की बात यह है कि 'स्थानीय' व्यंजनों का पुनरुद्धार भी ज़रूरी है जिन्हें अब 'एथनिक' कहकर पुकारने का चलन बहुत है।
2) Answer:
मिठाईवाले का मधुर आवाज़ में गा-गाकर अपनी चीज़ों की विशेषताएँ बताना, बच्चों की मन-पसंद चीज़ें लाना, लाभ कमाने के चक्कर में न रहना, बच्चों से अपनत्व, कोमल और प्रेम पूर्ण व्यवहार दर्शाना आदि ऐसी विशेषताएँ थीं कि बच्चें तो बच्चें बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे।
3)भावार्थ- कविता की इन पंक्तियों में पंछियों की स्वतंत्र होने की चाह को दर्शाया है। इन पंक्तियों में पक्षी मनुष्यों से कहते हैं कि हम खुले आकाश में उड़ने वाले प्राणी हैं, हम पिंजरे में बंद होकर खुशी के गीत नहीं गा पाएँगे। आप भले ही हमें सोने से बने पिंजरे में रखो, मगर उसकी सलाख़ों से टकरा कर हमारे कोमल पंख टूट जाएँगे।
4) लघु उत्तरीय प्रश्न
कठपुतली को गुस्सा इसलिए आता हैं क्योंकि उसे चारों ओर से धागों से बंधन में बाँध कर रखा गया था। वह इसे बंधन से तंग आ गई थी। वह आज़ाद होना चाहती थी। वह अपनी इच्छानुसार जीना चाहती थी।
5)Answer: नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें बेटियों, प्रेयसी व् बहन के रूपों में भी देखते हैं। ... समुद्र को पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला इसलिए इसे सौभाग्यशाली कहा गया है।
6)कालिदास के विरही यक्ष ने अपने मेघदूत से कहा था- वेत्रवती नदी को प्रेम का प्रतिदान देते। जाना, तुम्हारी वह प्रेयसी तुम्हें पाकर अवश्य याद आ गई और सोचा कि शायद उस महाकवि को ... दरअसल जो भी कोई नदियों को पहाड़ी घाटियों और समतल आँगनों के मैदानों में जुदा-जुदा शक्लों में देखेगा, वह इसी नतीजे पर पहुंचेगा।
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