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इसे कृषक भी कहा जाता है। वह दिनभर धूप में, गर्मी में, बरसात में या फिर कड़ाके की सर्दी में भी खेतों में काम करते हैं और अनाज का उत्पादन करते हैं। भारत के किसान ज्यादातर गांव में रहते हैं और ज्यादातर किसान गरीब पाए जाते हैं। किसान को सुबह-सुबह ही अपने खेत के काम के लिए निकलना पड़ता है और वह दिनभर खेतों में काम करते हैं।
Farmer in Hindi!
किसान माटी के समृत होते हैं। वे मिट्टी से सोना उपजाते हैं। वे अपने श्रम से संसार का पेट भरते हैं। वे अधिक पढ़े-लिखे नहीं होते परंतु उन्हें खेती की बारीकियों का ज्ञान होता है । वे मौसम के बदलते मिजाज को पहचान कर तदनुसार नीति निर्धारित करने में दक्ष होते हैं । सचमुच प्रकृति के सहचर होते हैं हमारे किसान ।
किसानों का मुख्य पेशा कृषि है । पशुपालन उनका सहायक पेशा है । पशु कृषि कार्य में उनका सहयोग करते हैं । बैल उनका हल और गाड़ी खींचते हैं । गाय उनके लिए दूध, गोबर और बछडे देती है । वे भैंस, बकरी आदि भी पालते हैं जिनसे उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है । इन पालतू पशुओं को पालने में उन्हें विशेष कठिनाई नहीं होती क्योंकि ये कृषि उत्पादों यथा पुआल, भूसा, खली, अनाज खाकर जीवित रहते हैं । पशुओं के लिए घास खेतों और बागानों से उपलब्ध हो जाता है ।
किसान बहुत परिश्रमी होते हैं । वे खेतों में जी-तोड़ श्रम करते हैं । वे मेहनत करके अनाज, फल और सब्जियाँ उगाते हैं । खेतों में फसल उगाने के लिए अच्छी तरह जुते हुए खेतों में बीज डाला जाता है । बीजों में अंकुर निकल आता है और धीरे- धीरे ये पौधे का रूप ले लेते हैं । पौधों की सिंचाई की जाती है । पौधों के बीच उग आए खर-पतवार निकालकर खेतों में खाद डाला जाता है । आवश्यकता पड़ने पर किसान कीटनाशकों का प्रयोग भी करते हैं ।
लहलहाती फसलों को देखकर किसान प्रसन्न हो उठते हैं । वे फसलों की लगातार निगरानी करते हैं । फसलों को पशुओं और चोरों से सुरक्षित रखने के लिए वे खेतों में मचान बनाकर वहीं सोते हैं । पकी फसलों की कटाई की जाती है, तत्पश्चात् उनसे अनाज के दाने निकाले जाते हैं । अनाज का भूसा मवेशियों के भोजन के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है । जरूरत भर का अनाज और सब्जी घर में रखकर शेष मंडियों में बेच देते हैं । इनसे हुई आमदनी से उनका साल भर का गुजारा होता है ।
हमारे देश के किसानों को कृषि कार्य में विभिन्न प्रकार की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है । सबसे बड़ी समस्या है कृषि में आने वाली लागत जो दिनों-दिन बढ़ती चली जा रही है । किसानों को अच्छे बीज खरीदने पड़ते हैं जो बहुत महँगे दामों में मिलते हैं । ट्रैक्टरों या हल-बैल से खेत की जुताई भी आसान नहीं होती । खेतों में सिंचाई के लिए बिजली या पंपसैट की आवश्यकता होती है ।
होली का पर्व हिन्दुओं के द्वारा मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। होली पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। हर भारतवासी होली का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। सभी लोग इस दिन अपने सारे गिले, शिकवे भुला कर एक दुसरे को गले लगाते हैं। होली के रंग हम सभी को आपस में जोड़ता है और रिश्तों में प्रेम और अपनत्व के रंग भरता है। हमारी भारतीय संस्कृति का सबसे ख़ूबसूरत रंग होली के त्योहार को माना जाता है। सभी त्योहारों की तरह होली के त्योहार के पीछे भी कई मान्यताएं प्रचलित है। होली कैसे मनाते है, होली का महत्व क्या है, होलिका कौन थी इन सभी की जानकारी हम आपको अपने इस पोस्ट के जरिये देंगे। इसके साथ स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों से होली पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। हमारे इस पोस्ट से छात्र होली के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं जिससे वे स्कूल या कॉलेज में अच्छे से निबंध प्रतियोगिता में भाग ले सकें।
होली पर निबंध
होली हर साल फाल्गुन (मार्च) के महीने में महीने में विभिन्न प्रकार के रगों के साथ मनाई जाती है। सभी घरों में तरह तरह के पकवान बनाये जाते हैं। होली हिंदुओं के एक प्रमुख त्योहार के रूम में जाना जाता है। होली सिर्फ हिन्दुओं ही नहीं बल्कि सभी समुदाय के लोगों द्वारा उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का त्योहार लोग आपस में मिलकर, गले लगकर और एक दूसरे को रंग लगाकर मनाते हैं। इस दौरान धार्मिक और फागुन गीत भी गाये जाते हैं। इस दिन पर हम लोग खासतौर से बने गुजिया, पापड़, हलवा, आदि खाते हैं। रंग की होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है
होली का त्यौहार मनाने के पीछे एक प्राचीन इतिहास है। प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नाम के एक असुर हुआ करता था। उसकी एक दुष्ट बहन थी जिसका नाम होलिका था। हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था। हिरण्यकश्यप के एक पुत्र थे जिसका नाम प्रह्लाद था। वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी था। उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु की भक्ति करने से बहुत रोका। लेकिन प्रह्लाद ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। इससे नाराज़ होकर हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का प्रयास किया। इसके लिए हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। क्योंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला हुआ था। उसके बाद होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में बैठ गई लेकिन जिस पर विष्णु की कृपा हो उसे क्या हो सकता है और प्रह्लाद आग में सुरक्षित बचे रहे जबकि होलिका उस आग में जल कर भस्म हो गई।
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