pls help me... tell me atleast 10 sentences on arjuna (who was in the mahabharat )
kvnmurty:
hindi
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अर्जुन महाभारत काव्य
के मुख्य पात्रा है। अर्जुन चंद्र वंश के महाराजाओं
के वंश में जन्में। हस्तिनापुर में रहते थे।
वे कुंती और पांडु राज के पुत्र थे । वे इंद्र देव के वरदा से जन्मे थे । अर्जुन
के बड़े भाई युधिष्ठिर और भीम सेन थे। और छोटे भाई नकुल और सहदेव जो उनकी मौसी के पुत्र
थे। वे बहुत पराक्रमी थे ।
अर्जुन धनुर्विद्या में प्रवीण थे। तीर लक्ष्य पर अत्यधिक विशुद्धता से ठीक चला सकते थे। उन्हों ने अपने बचपन में विद्या गुरु द्रोण आचार्य के आश्रम में उनसे सीखी। और राजनीति और उचित पांडित्य भी सीखी। उन्हों ने बचपन में ही द्रुपद सम्राट को युद्ध में पराजित किया और अपने गुरु को भेंट किया । अर्जुन अपने माँ और बड़े भैया की बात बड़े आदर से मानते थे।
अर्जुन ने धनुर्विद्या के प्रतियोगिता में घूमती मछली को निशाने पर मार कर जीत पाया और द्रौपदी से शादी किया । उन्हों ने चार शादियाँ की । उनके पुत्र में अभिमन्यु और नागार्जुन पराक्रमी थे । अर्जुन को अपने पराक्रम से बहुत गर्व था।
अर्जुन अपने दूर के मामी के पुत्र कृष्ण से बहुत गहरा संबंध रखते थे। कृष्ण के शिष्य और भक्त थे। हमेशा उनकी सलाह मानते थे । कृष्ण की बहन सुभद्रा से शादी की थी । धर्म का पालन करते थे। अपने शरण में आए लोगों की रक्षा करा और क्षत्रिय धर्म का पालन किया। अपने भाई के बात पर वश हो कर ग्यारह साल वनवास किया।
वनवास खतम होने पर जब दुर्योधन ने राज्य नहीं लौटाया, तो कुरुक्षेत्र के युद्ध में लड़ाई की। तब भगवान कृष्ण को अपने सारधी के रूप में चाहा और पाया । शुरू में अपने रिशतेदारों को देखकर लड़ाई नहीं करना चाहते थे । लेकिन गोविंद ने उनको भगवद गीता सुनाकर उन्हें फिर युद्ध लड़ने के लिए उत्सुक किया। कृष्ण जी की कृपा सलाहों से वे कौरव योद्धाओं को मार सके और युद्ध जीता ।
अर्जुन के जीवन एक मानव के जीवन का बराबर है। वे अपने भगवान गुरु कृष्ण का उपदेश ठीक क्रियान्वित किया और यशशवी हुए
अर्जुन धनुर्विद्या में प्रवीण थे। तीर लक्ष्य पर अत्यधिक विशुद्धता से ठीक चला सकते थे। उन्हों ने अपने बचपन में विद्या गुरु द्रोण आचार्य के आश्रम में उनसे सीखी। और राजनीति और उचित पांडित्य भी सीखी। उन्हों ने बचपन में ही द्रुपद सम्राट को युद्ध में पराजित किया और अपने गुरु को भेंट किया । अर्जुन अपने माँ और बड़े भैया की बात बड़े आदर से मानते थे।
अर्जुन ने धनुर्विद्या के प्रतियोगिता में घूमती मछली को निशाने पर मार कर जीत पाया और द्रौपदी से शादी किया । उन्हों ने चार शादियाँ की । उनके पुत्र में अभिमन्यु और नागार्जुन पराक्रमी थे । अर्जुन को अपने पराक्रम से बहुत गर्व था।
अर्जुन अपने दूर के मामी के पुत्र कृष्ण से बहुत गहरा संबंध रखते थे। कृष्ण के शिष्य और भक्त थे। हमेशा उनकी सलाह मानते थे । कृष्ण की बहन सुभद्रा से शादी की थी । धर्म का पालन करते थे। अपने शरण में आए लोगों की रक्षा करा और क्षत्रिय धर्म का पालन किया। अपने भाई के बात पर वश हो कर ग्यारह साल वनवास किया।
वनवास खतम होने पर जब दुर्योधन ने राज्य नहीं लौटाया, तो कुरुक्षेत्र के युद्ध में लड़ाई की। तब भगवान कृष्ण को अपने सारधी के रूप में चाहा और पाया । शुरू में अपने रिशतेदारों को देखकर लड़ाई नहीं करना चाहते थे । लेकिन गोविंद ने उनको भगवद गीता सुनाकर उन्हें फिर युद्ध लड़ने के लिए उत्सुक किया। कृष्ण जी की कृपा सलाहों से वे कौरव योद्धाओं को मार सके और युद्ध जीता ।
अर्जुन के जीवन एक मानव के जीवन का बराबर है। वे अपने भगवान गुरु कृष्ण का उपदेश ठीक क्रियान्वित किया और यशशवी हुए
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