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मानव अधिकार सभी अधिकारों का एक समूह है जो हर व्यक्ति को उसके लिंग, जाति ,पंथ, धर्म ,राष्ट्र ,स्थान या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना दिया जाता है इन्हें नैतिक सिद्धांत भी कहा जाता है जो मानव व्यवहार की कुछ मानकों को स्पष्ट करते हैं कानून द्वारा सुरक्षित यह अधिकार हर जगह और हर समय लागू होते हैं मानव अधिकार हर प्राणी का हकदार है ,अधिकार ओर स्वतंत्रता के उदाहरण के रूप में जिनकी गणना की जाती है ।बुनियादी मानव अधिकारों में जीवन का अधिकार, निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार,
कई प्रकार के अधिकार है जो मानव का हक है।
सामान्य जीवन यापन के लिए प्रत्येक मनुष्य के अपने परिवार, कार्य, सरकार और समाज पर कुछ अधिकार होते हैं, जो आपसी समझ और नियमों द्वारा निर्धारित होते हैं। इसी के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र को आधिकारिक मान्यता दी गई, जिसमें भारतीय संविधान द्वारा प्रत्येक मनुष्य को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं। अत: प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
मानव अधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से वर्णित किए गए हैं और न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय है, जिसकी 'भारतीय संविधान' न केवल गारंटी देता है, बल्कि इसका उल्लंघन करने वालों को अदालत सजा भी देती है। वैसे तो भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में लाया गया था और 12 अक्टूबर, 1993 में 'राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग' का गठन किया गया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 दिसंबर 1948 को घोषणा पत्र को मान्यता दिए जाने पर 10 दिसंबर का दिन मानवाधिकार दिवस के लिए निश्चित किया गया।
मानवाधिकार को 30 अनुच्छेदों द्वारा सरलता से समझा जा सकता है, और प्रत्येक व्यक्ति को इसकी जानकारी और समझ अवश्य होनी चाहिए -
1. सब लोग गरिमा और अधिकार के मामले में स्वतंत्र और बराबर हैं अर्थात सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है। उन्हें बुद्धि और अंतरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिए।
2. प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, आजादी और सुरक्षा का अधिकार है।
3. गुलामी या दासता से आजादी का अधिकार, अर्थात किसी भी व्यक्ति को गुलामी या दासता की हालत में नहीं रखा जा सकता, गुलामी-प्रथा और व्यापार पूरी तरह से निषिद्ध होगा।
4. यातना, प्रताड़ना या क्रूरता से आजादी का अधिकार अर्थात किसी को भी शारीरिक यातना नहीं दी जा सकती और न किसी के भी प्रति निर्दय, अमानवीय या अपमानजनक किया जा सकता हैा
5. कानून के सामने समानता का अधिकार अर्थात हर किसी को, हर जगह कानून की निगाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति-प्राप्ति का अधिकार है।
6. कानून के सामने सभी को समान संरक्षण का अधिकार अर्थात कानून की निगाह में सभी समान हैं और सभी बिना भेदभाव के समान कानूनी सुरक्षा के अधिकारी हैं।
7. अपने बचाव में इंसाफ के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार, अर्थात सभी को संविधान या कानून द्वारा प्राप्त बुनियादी अधिकारों पर किसी के द्वारा अतिक्रमण किए जाने पर समुचित राष्ट्रीय अदालतों की सहायता पाने का अधिकार है।
8. मनमाने ढंग से की गई गिरफ्तारी, हिरासत में रखने या निर्वासन से आजादी का अधिकार, अर्थात किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ्तार, नजरबंद, या देश-निष्कासित नहीं किया जा सकता।
9. किसी स्वतंत्र आदालत के जरिए निष्पक्ष सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार अर्थात सभी को समान रूप से यह अधिकार है कि उनके अधिकारों और कर्तव्यों के मामले में और फौजदारी के किसी मामले में उनकी सुनवाई अदालत द्वारा न्यायोचित और सार्वजनिक रूप से निरपेक्ष एवं निष्पक्ष हो।
10. संपत्ति का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को अकेले और दूसरों के साथ मिलकर संपत्ति रखने का अधिकार है। एवं किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
11. संपत्ति का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को अकेले और दूसरों के साथ मिलकर संपत्ति रखने का अधिकार है। एवं किसी को भी मनमाने ढंग से अपनी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
12. संगठन बनाने और सभा करने का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को शांति पूर्ण सभा करने या समिति बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार है। किसी को भी किसी संस्था का सदस्य बनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
13. सरकार बनाने की गतिविधियों में हिस्सा लेने और सरकार चुनने का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश के शासन में प्रत्यक्ष रूप से या स्वतंत्र रूप से चुने गए प्रतिनिधियों के जरिए हिस्सा लेने, सरकारी नौकरियों को प्राप्त करने का समान अधिकार है।
14. भोजन, आवास, कपड़े, चिकित्सीय देखभाल और सामाजिक सुरक्षा सहित अच्छे जीवन स्तर के साथ स्वयं और परिवार के जीने का अधिकार।
15. प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की प्राप्ति का अधिकार है जिसमें उस घोषणा में उल्लिखित अधिकारों और स्वतंत्रताओं का पूर्णतः प्राप्त किया जा सके।
16. इस घोषणापत्र में शामिल किसी भी बात की ऐसी व्याख्या न हो जिससे यह आभास मिले कि कोई राष्ट्र, व्यक्ति या गुट किसी ऐसी गतिविधि में शामिल हो सकता है जिससे किसी की स्वतंत्रता या अधिकारों का हनन हो।