Hindi, asked by ambner, 8 months ago

plz give the correct answer of given question​

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Answered by supriths4804
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Answer

पूरी दुनिया में आजकल के इस इंटरनेट और डिजिटल दौर में तकरीबन सभी लोग हरेक एक्टिविटी के लिए 24x7 अपने स्मार्टफोन, लैपटॉप और टेबलेट पर ऑनलाइन एप्रोच अपना रहे हैं. ऐसे में, एजुकेशनल फील्ड भी अब इसका अपवाद नहीं रहा है. आजकल हमारे टीचर्स और स्टूडेंट्स अपने एजुकेशनल और प्रोफेशनल कोर्स, असाइनमेंट या प्रैक्टिकल्स के लिए काफी हद तक ऑनलाइन लर्निंग का सहारा ले रहे हैं मसलन देश-विदेश के नामी और प्रसिद्ध स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ के साथ विभिन्न मैनेजमेंट एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूशन्स भी अपना स्टडी मटीरियल, असाइनमेंट्स, सैंपल पेपर्स, टाइम-टेबल सहित सभी जरुरी और महत्वपूर्ण सूचनाएं अपने स्टूडेंट्स और उनके गार्जियन्स के साथ ऑनलाइन साझा करते हैं. आजकल अधिकतर लोग क्लासरूम टीचिंग के बजाय ऑनलाइन लर्निंग को ज्यादा इफेक्टिव मानने लगे हैं. दरअसल, इन दोनों ही एजुकेशनल मेथड्स के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं. आज के जमाने में दोनों में से केवल एक मेथड की तरफदारी करना किसी भी तरह की अक्लमंदी नहीं है. एक मेथड की कमी को असल में दूसरा मेथड पूरी कर देता है. दूसरी तरफ यह भी सच है कि कई टीचर्स, पेरेंट्स या स्टूडेंट्स के मन में ऑनलाइन लर्निंग से मिलने वाले फायदों को लेकर संदेह बना रहता है. फिर भी, बहुत से स्टूडेंट्स के लिए शिक्षा का यह नया मेथड एक वरदान साबित हुआ है. इसने पूरी दुनिया में हरेक उस इंसान के लिए सीखने के काफी अवसर मुहैया करवाये हैं जो कुछ सीखना चाहते है|

जब आप कोई ऑनलाइन कोर्स करना चाहते हैं तो आपके पास पूरी दुनिया के विश्वविद्यालयों द्वारा उपलब्ध प्रोग्राम्स और कोर्सेज की विशाल रेंज का ऑप्शन मौजूद होता है. इससे फर्क नहीं पड़ता है कि आप भाषा विज्ञान से लेकर तंत्रिका विज्ञान तक कौन-सा कोर्स या सब्जेक्ट पढ़ना चाहते हैं; आप तकरीबन किसी भी उस विषय में कोई भी ऐसा कोर्स कर सकते हैं जिस विषय के बारे में आप शायद ही सोच सकें. इसका दूसरा फायदा यह है कि ऑनलाइन प्रोग्राम्स सफलतापूर्वक पूरे होने पर विश्वविद्यालय अब स्टूडेंट्स को सर्टिफिकेट और डिग्री देने लगे हैं. आप किसी प्रसिद्ध कॉलेज या यूनिवर्सिटी के ऑनलाइन लर्निंग प्रोग्राम की क्लासेज अटेंड करके अपना कोई भी करियर बना सकते हैं.

ऑनलाइन लर्निंग प्रोग्राम्स ज्यादा किफायती होते हैं क्योंकि क्लास-रूम लर्निंग की तुलना में उनकी लागत काफी कम या अंशमात्र होती है. इससे न केवल आपकी ट्यूशन फीस ही बचती है बल्कि इससे संबद्ध अन्य व्यय जैसे ट्रेवलिंग, एकोमोडेशन कॉस्ट्स या फिर ऐसे दूसरे कई खर्चों में भी काफी कमी आती है. इसके अलावा, बहुत से ऑनलाइन कोर्सेज निशुल्क भी उपलब्ध होते हैं. इसमें एक ही बड़ी कमी है कि निशुल्क कोर्स करने पर आपको कोई सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति केवल जानकारी प्राप्त करना चाहता है और उसे डिग्री प्राप्त करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है तो उसके पास पर्याप्त ऑप्शन्स मौजूद हैं और ऐसे व्यक्ति प्रसिद्ध एजुकेटर्स और जाने-माने इंस्टिट्यूट से ऑनलाइन लर्निंग प्राप्त कर सकते हैं.

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Explanation:

Answered by madhokyash75
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मीडिया यानि मीडियम या माध्यम। मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। इसी से मीडिया के महत्त्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।समाज में मीडिया की भूमिका संवादवहन की होती है।वह समाज के विभिन्न वर्गों, सत्ता केन्द्रों,व्यक्तियों और संस्थाओं के बीच पुल का कार्य करता है।

आधुनिक युग में मीडिया का सामान्य अर्थ समाचार-पत्र, पत्रिकाओं, टेलीविज़न, रेडियो, इंटरनेट आदि से लिया जाता है।किसी भी देश की उन्नति व प्रगति में मीडिया का बहुत बड़ा योगदान होता है।अगर मैं कहूँ कि मीडिया समाज का निर्माण व पुनर्निर्माण करता है, तो यह गलत नहीं होगा। इतिहास में ऐसे अनगिनत उदाहरण भरे पड़े हैं जब मीडिया की शक्ति को पहचानते हुए लोगों ने उसका उपयोग लोक परिवर्तन के भरोसेमंद हथियार के रूप में किया है।अंग्रेज़ों की दासता से सिसकते भारतीयों में देश- भक्ति व उत्साह भरने में मीडिया का बड़ा योगदान था।

   आज भी मीडिया की ताकत के सामने बड़े से बड़ा राजनेता,उद्योगपति आदि सभी सिर झुकाते हैं। मीडिया का जन-जागरण में भी बहुत योगदान है। बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने का अभियान हो या एड्स के प्रति जागरुकता फैलाने का कार्य, मीडिया ने अपनी ज़िम्मेदारी पूरी तरह से निभाई है।लोगों को वोट डालने के लिये प्रेरित करना,बाल मज़दूरी पर रोक लगाने के लिये प्रयास करना,धूम्रपान के खतरों से अवगत कराना जैसे अनेक कार्यों में मीडिया की भूमिका सराहनीय है।मीडिया समय-समय पर नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करता रहता है। देश में भ्रष्टचारियों पर कड़ी नज़र रखता है।समय-समय पर स्टिंग ऑपरेशन कर इन सफेदपोशों का काला चेहरा दुनिया के सामने लाता है। इस प्रकार मीडिया हमारे लिये एक वरदान की तरह है।

 किंतु रुकिए! जैसे फूल के साथ काँटे होते हैं, उसी प्रकार मीडिया भी वरदान ही नहीं अभिशाप भी है। मीडिया या प्रेस को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। मिलती भी है। लेकिन स्वतंत्रता जब सीमा लाँघ जाए तो उच्शृंखलता बन जाती है। कुछ ऐसा ही हाल मीडिया का भी है।आज के समाज मे मीडिया पैसा कमाने के लालच में समाज को गुमराह कर रहा है। आज हमारे समाचार पत्र अपराध की खबरों से भरे रहते हैं। जबकि सकारात्मक समाचारों को स्थान ही नहीं मिलता । यदि मिलता भी है तो बीच के पन्नों पर कही किसी छोटे से कोने में।

 टी.वी. तो इससे भी चार कदम आगे है।टी. वी. पर चैनलों की जैसे बाढ़ सी आई हुई है।हर किसी का ध्येय है ऊँची टी. आर. पी. यानि अधिक से अधिक पैसा। ज़रा देखिए न्यूज़ चैनल पर आप को क्या देखने को मिलता है? सुबह- सुबह चाय के साथ अपना भविष्य जानिये। दिन में टी. वी. सीरियलों की गपशप देखिए। रात को देखिए ‘सनसनी’ या ‘क्राइम पैट्रोल’ चैन से सोना है तो जाग जाइए। ऐसा लगता है कि समाज में या तो केवल अपराध हैं या फिर हीरो-हीरोइनों के स्कैंडल। क्या कहीं कुछ अच्छा नहीं है?

    ‘सनसनी’ फैलाने के लिए ये देश की सुरक्षा को भी दाँव पर लगाने से नहीं चूकते। 26\11 को हम कैसे भूल सकते हैं। बड़े-बड़े चैनलों पर पूरी कार्यवाही का सीधा-प्रसारण दिखाया गया। जिससे होटल में घुसे आतंकवादी बाहर होने वाली हलचल से वाकिफ होते रहे और हमारा अधिक से अधिक नुकसान करते रहे। मीडिया यदि अपने निहित स्वार्थों को भूलकर अपनी ज़िम्मेदारी निभाए तो समाज को एक दिशा प्रदान कर सकता है।मीडिया अपराध की खबरों को दिखाए पर सकारात्मक समाचारों से भी किनारा न करे। समाज में फैली बुराइयों के अलावा विकास को भी दिखाए ताकि आम आदमी निराशा में डूबा न रहे कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता।

  अंत में मैं मीडिया के प्रति यही कहते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा कि

शक्ति का तू स्रोत है, वाणी में तेरी ओज है

लोक के इस तंत्र का तू एक महान स्तंभ है 

भूल अपने स्वार्थ को फिर देश का निर्माण कर

मनुज के मन में नया फिर से तू ही विश्वास भर|

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