plz. summarise the chapter ' atmatran' para by para?
Answers
विपदाओं से मुझे ......... न मानू मानूँ क्षय ।।
इन पंक्तियों में कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर भगवान से कहते हैं कि वे यह नहीं चाहते कि भगवान उनको दुखों से दूर रखें। बल्कि वे यह प्रार्थना करते हैं कि भगवान उनको दुःख सहने की शक्ति दें। वे कष्टों से भयभीत न हों। वे उन दुखों पर विजय प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास और हौंसला चाहते हैं। यदि उन्हें कोई लाभ न प्राप्त हो, उन्हें हानि उठानी पड़े या कोई उन्हें धोखा दे तब भी उनका मन दुखी न हो और उनकी मन की शक्ति नष्ट न हो।
मेरा त्राण करो .......... नहीं कुछ संशय ।।
कवि यह नहीं चाहते हैं कि भगवान उनको भय से छुटकारा दें लेकिन वे यह प्रार्थना करते हैं कि भगवान उनको स्वस्थ रखें। ताकि वे अपने बल और शक्ति के सहारे संसार रूपी भवसागर को पार कर सकें। वे यह नहीं चाहते कि उनके कष्टों का भार कम हो जाये परन्तु वे निर्भय होकर सब मुसीबतों का सामना करने की शक्ति चाहते हैं। वे भगवान से शक्ति मांगते हैं कि वे सुख के दिनों में हर क्षण उनको याद कर सकें और जब कोई उनकी मदद न करे या उन्हें धोखा दे तब भी वे भगवान पर विश्वास रख सकें।
विपदाओं से मुझे .. न मानू मानूँ क्षय ।।
इन पंक्तियों में
कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर भगवान से कहते हैं कि वे यह नहीं चाहते कि भगवान उनको दुखों
से दूर रखें। बल्कि वे यह प्रार्थना करते हैं कि भगवान उनको दुःख सहने की शक्ति
दें। वे कष्टों से भयभीत न हों। वे उन दुखों पर विजय प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास
और हौंसला चाहते हैं। यदि उन्हें कोई लाभ न प्राप्त हो, उन्हें हानि उठानी पड़े या
कोई उन्हें धोखा दे तब भी उनका मन दुखी न हो और उनकी मन की शक्ति नष्ट न हो।
मेरा त्राण
करो .. नहीं कुछ संशय ।।
कवि यह नहीं चाहते
हैं कि भगवान उनको भय से छुटकारा दें लेकिन वे यह प्रार्थना करते हैं कि भगवान
उनको स्वस्थ रखें। ताकि वे अपने बल और शक्ति के सहारे संसार रूपी भवसागर को पार कर
सकें। वे यह नहीं चाहते कि उनके कष्टों का भार कम हो जाये परन्तु वे निर्भय होकर सब
मुसीबतों का सामना करने की शक्ति चाहते हैं। वे भगवान से शक्ति मांगते हैं कि वे सुख
के दिनों में हर क्षण उनको याद कर सकें और जब कोई उनकी मदद न करे या उन्हें धोखा
दे तब भी वे भगवान पर विश्वास रख सकें।
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hopes it helps you