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कहावत है कि खेल को खेल की भावना से खेलो । आखिरकार क्या हे यह खेल की भावना ? चलिए निम्न बिन्दुओं से समझने का प्रयत्न करते हैं :-
1. खेल को जीत या हार की भावना से नहीं बल्कि खेल के नियमों का पालन करते हुए एकाग्रता व दूसरी टीम के प्रति सदभावना रखते हुए खेलना चाहिए ।
2. खेल में बेईमानी करना खेल की भावना के विपरीत है अतः सदैव ईमानदारी से खेलें तथा अच्छे खिलाड़ी व अच्छे खेल की सराहना करें चाहें वो विपक्षी टीम क्यों ना हो ।
3. खिलाडियों को चाहिए कि वो सट्टेबाजी जैसी गतिविधियों से बचें जिससे दर्शकों में खेल व खिलाड़ियों के प्रति आदरभाव बना रहे ।
{कृपया जवाब गलत होने पर रिपोर्ट न करें, हमने आपको सही उत्तर देने की पूरी कोशिश की है}
1. खेल को जीत या हार की भावना से नहीं बल्कि खेल के नियमों का पालन करते हुए एकाग्रता व दूसरी टीम के प्रति सदभावना रखते हुए खेलना चाहिए ।
2. खेल में बेईमानी करना खेल की भावना के विपरीत है अतः सदैव ईमानदारी से खेलें तथा अच्छे खिलाड़ी व अच्छे खेल की सराहना करें चाहें वो विपक्षी टीम क्यों ना हो ।
3. खिलाडियों को चाहिए कि वो सट्टेबाजी जैसी गतिविधियों से बचें जिससे दर्शकों में खेल व खिलाड़ियों के प्रति आदरभाव बना रहे ।