Plz upload a essay in hindi about telephone suvidha ya asuvidha in about 120 words.Plz
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1. परन्तु कोई भी चीज़ एक सीमा तक ठीक लगती है। अगर हम किसी से बात नहीं करना चाहते हैं, या एकांत में रहना चाहते हैं तो वह हमारे चैन को भंग करता है।
2. टेलीफोन की हमें इतनी आदत हो जाती है कि हमारा ध्यान हमेशा उसकी ओर आकर्षित रहता है। हम इतनी उत्सुकता से घंटी बजने का इंतज़ार करते रहते हैं कि हमारा किसी और काम में मन नहीं लगता। अगर किसी का फोन नहीं आता है तो हम उदास हो जाते हैं।
3. मित्रों से देर तक बातें करना आदि हमारे लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं और उनके बिना हम रह नहीं पाते हैं। जिससे समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। साथ ही फोन पर खर्च अधिक हो जाता है।
2. टेलीफोन की हमें इतनी आदत हो जाती है कि हमारा ध्यान हमेशा उसकी ओर आकर्षित रहता है। हम इतनी उत्सुकता से घंटी बजने का इंतज़ार करते रहते हैं कि हमारा किसी और काम में मन नहीं लगता। अगर किसी का फोन नहीं आता है तो हम उदास हो जाते हैं।
3. मित्रों से देर तक बातें करना आदि हमारे लिए अधिक आकर्षक हो जाते हैं और उनके बिना हम रह नहीं पाते हैं। जिससे समय का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं। साथ ही फोन पर खर्च अधिक हो जाता है।
Anonymous:
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