Hindi, asked by Mshifa, 1 year ago

plzzz. ans me this question as fast as possible plzz give mee 6-8 lines on adhunikta ki दोड़ Rishtey- naatey khatm kr rahe h

Answers

Answered by dhillonrobin
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Aaj kal ke samay mei log paiso pe jyaada dhyaan dete hai weh utna rishto ko nhi de paate jis se k vo aapne rishto ko khona shuru krr dete hai aaj ke manushaya ke liye paisa hi sbh kuch hai jo k sach nhi hai paiso je ghrr to khareeda ja skta hai lekin uss ghrr mei rehne ke liye ghrr wale nhi ajj kll ke manushaya ko rishto ka mhatva smjhna chahiye.

Mshifa: thanx for giving me the ans.
dhillonrobin: urs wlcm
Answered by Anonymous
1
The answer is : ब्याज पर आधारित पूंजीवाद ने सभी नैतिक मूल्यों को रौंदते हुए अवसरवाद और शोषण के कल्चर को बढ़ावा दिया है। उपभोक्तावाद और ब्याज के माध्यम से धन बढ़ाते जाने की होड़ ग़रीब मनुष्य के कमज़ोर शरीर से ख़ून की आख़िरी बूंद तक निचोड़ लेना चाहती है। वंचितों की संख्या में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है.

 

समाज-निर्माण के बहुत से क्षेत्र हैं। वे अलग-थलग नहीं बल्कि एक-दूसरे से संलग्न और संबंधित हैं। उनमें आध्यात्मिक क्षेत्र, नैतिक क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र के महत्व के अनुकूल कुछ बयाँ करने की कोशिश की है l आज मानव समाज अनैतिकता में आकंठ तक डूबा हुआ है तथा काम, क्रोध, मद. मोह लोभ, अहंकार सहित अनेकानेक बुराइयों में संलिप्त होकर आसुरी बिपत्तियों का साधक बन गया है। देश की बर्तमान स्थिति को देखकर चिंता, पीड़ा और अंतर्वेदना होती है. प्राचीन युग में लोगों का बिस्वास था की सर्वव्यापी, अंतर्यामी परमात्मा सदा-सर्वदा सर्वत्र विद्यमान है। तथा हमारे प्रत्येक अच्छे-बुरे समस्त कार्यों को परिभाषित करता रहता है। हम एकांत में भी यदि कोई पाप करते है अथवा मन में पाप भावना रखते है तो वह भी परमात्मा को दृष्टिगोचर होता रहता है। फलस्वरूप परमात्मा द्वारा दिए जाने वाले कठोर दंड के भय से लोग बुरा कर्म करने से डरते थे l

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