Hindi, asked by cuteprincess53, 1 year ago

plzzz fast...........


don't fast ...............​

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Answered by rahul5362IAF
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पिछले कई दशकों से हमारे सामाजिक और पारिवारिक ढाँचे में बहुत परिवर्तन हुए हैं। संयुक्त परिवार के स्थान पर ‘छोय परिवार सुखी परिवार’ के नारे ने परिवार को सीमित कर दिया है। अब मनुष्य केवल अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहकर अपना जीवन सुखमय बनाना चाहता है। माता-पिता को बोझ समझते हुए वह उन्हें वृद्धाश्रम भेजकर अपने कर्तव्य की पूर्ति कर लेता है। इसका प्रभाव बच्चों को भोगना पड़ रहा है। माता-पिता दोनों के कामकाजी होने के कारण बच्चे अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं। वह स्वयं को असुरक्षित समझते हैं तथा उन्हें दादा-दादी व नाना-नानी के प्यार से भी वंचित रहना पड़ता है। बच्चों में नैतिक शिक्षा की कमी भी दुष्परिणाम है। यदि घर में माता-पिता होंगे तो वे बच्चों का सही मार्गदर्शन करेंगे तथा उन्हें अच्छे संस्कार मिलेंगे। अतः आज फिर से संयुक्त परिवार की आवश्यकता महसूस होने लगी है, ताकि बच्चों के सुदृढ़ भविष्य का निर्माण हो सके। उनमें मिल-जुल कर रहने की भावना का विकास हो तथा बूढे माता-पिता भी अपने अकेलेपन से मुक्ति पा सकें। इससे बच्चे अपने उत्तरदायित्वों व कर्तव्यों का पालन करना सीखेंगे, यह तभी संभव होगा जब पुनः संयुक्त परिवार का निर्माण हो तथा उसे पूरे सम्मान के साथ समाज में स्थापित करें।


cuteprincess53: thnx alot
rahul5362IAF: no mention
cuteprincess53: hmm
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