poem in hind on nature
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hey frnd here is a beautiful poem on nature
हे भगवान् तेरी बनाई यह धरती , कितनी ही सुन्दर
नए – नए और तरह – तरह के
एक नही कितने ही अनेक रंग !
कोई गुलाबी कहता ,
तो कोई बैंगनी , तो कोई लाल
तपती गर्मी मैं
हे भगवान् , तुम्हारा चन्दन जैसे व्रिक्स
सीतल हवा बहाते
खुशी के त्यौहार पर
पूजा के वक़्त पर
हे भगवान् , तुम्हारा पीपल ही
तुम्हारा रूप बनता
तुम्हारे ही रंगो भरे पंछी
नील अम्बर को सुनेहरा बनाते
तेरे चौपाये किसान के साथी बनते
हे भगवान् तुम्हारी यह धरी बड़ी ही मीठी
if u liked it mark me as brainliest
हे भगवान् तेरी बनाई यह धरती , कितनी ही सुन्दर
नए – नए और तरह – तरह के
एक नही कितने ही अनेक रंग !
कोई गुलाबी कहता ,
तो कोई बैंगनी , तो कोई लाल
तपती गर्मी मैं
हे भगवान् , तुम्हारा चन्दन जैसे व्रिक्स
सीतल हवा बहाते
खुशी के त्यौहार पर
पूजा के वक़्त पर
हे भगवान् , तुम्हारा पीपल ही
तुम्हारा रूप बनता
तुम्हारे ही रंगो भरे पंछी
नील अम्बर को सुनेहरा बनाते
तेरे चौपाये किसान के साथी बनते
हे भगवान् तुम्हारी यह धरी बड़ी ही मीठी
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siddha1:
mark me as brainliest plźzzzzz
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