Poem in Hindi on I for India
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मैं और मेरा भारत
हे माँ भारति! जीवन पुष्प चढ़ा कर तेरी पूजा करेंगे,
माँ तेरी हर जन्म बन्दना करेंगे I
भारत भूमि तू महान है, गौरव गुमान है,
तू प्राण है हमारी, तू ही माँ समान है II
तेरा मुकुट हिमालय चमचमा रही है,
सागर जिसे रतन की अंजली चढ़ा रहा है I
थ देश है हमारा, यह सबको कहेंगे,
अपने वतन के बिना हम जीवित न रहेंगे II
हर बुराई के खिलाफ आवाज़ उठाएंगें,
भारत को स्वच्छ साक्षरता संपन्न बनायेंगे I
आज़ादी का जो दीप जल रहा है उसे बुझने न देंगे,
भारत विश्व गुरु है रहेगा, यह सबको बताएँगे II
हे माँ भारति! जीवन पुष्प चढ़ा कर तेरी पूजा करेंगे,
माँ तेरी हर जन्म बन्दना करेंगे I
भारत भूमि तू महान है, गौरव गुमान है,
तू प्राण है हमारी, तू ही माँ समान है II
तेरा मुकुट हिमालय चमचमा रही है,
सागर जिसे रतन की अंजली चढ़ा रहा है I
थ देश है हमारा, यह सबको कहेंगे,
अपने वतन के बिना हम जीवित न रहेंगे II
हर बुराई के खिलाफ आवाज़ उठाएंगें,
भारत को स्वच्छ साक्षरता संपन्न बनायेंगे I
आज़ादी का जो दीप जल रहा है उसे बुझने न देंगे,
भारत विश्व गुरु है रहेगा, यह सबको बताएँगे II
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POEM
मिले हाथ से हाथ तो मिलकर,
दृढ़ ताकत बन जाते।
बड़े-बड़े दुश्मन तक इसके,
आगे ठहर न पाते।
ईंट से ईंट जुड़ी तो कई,
मंजिल का घर बन जाता।
अंगुली का मुट्ठी बन जाना,
किसे समझ न आता।
मधुमक्खी के झुंड बड़े,
शैतानों को डंस लेते।
तिनकों वाली रस्सी से,
शेरों को भी कस देते।
टुकड़ों-टुकड़ों बंटे देश पर,
परदेशी क्यों छाए।
इसी फूट के कारण वर्षों,
कब्जा रहे जमाए।
जाति-धर्म वर्गों का बंटना,
रहा देश को घातक।
मिलकर रहने का फिर भी,
कुछ मोल न समझा अब तक।
रहना है तो रहो देश में,
हिन्दुस्तानी बनकर।
एक देश है, एक वतन है,
कहो सभी से तनकर।
THANKS YOU .
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