POEM OF NATURAL RESOURES AND IMPORTANCE OF JAL, VAYU,
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प्रकृति पर कुछ कविताएँ –
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये हवाओ की सरसराहट
ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
ये समुन्दर की लहरों का शोर
ये बारिश में नाचते सुंदर मोर
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये खुबसूरत चांदनी रात
ये तारों की झिलमिलाती बरसात
ये खिले हुए सुन्दर रंगबिरंगे फूल
ये उड़ते हुए धुल
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये नदियों की कलकल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
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ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये हवाओ की सरसराहट
ये पेड़ो पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
ये समुन्दर की लहरों का शोर
ये बारिश में नाचते सुंदर मोर
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये खुबसूरत चांदनी रात
ये तारों की झिलमिलाती बरसात
ये खिले हुए सुन्दर रंगबिरंगे फूल
ये उड़ते हुए धुल
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
ये नदियों की कलकल
ये मौसम की हलचल
ये पर्वत की चोटियाँ
ये झींगुर की सीटियाँ
कुछ कहना चाहती है हमसे
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
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