poem on dharti ma of 16 lines in hindi
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धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो
बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो
आओ हम सब मिलजुल कर,
इस धरती को ही स्वर्ग बना दें
देकर सुंदर रूप धरा को,
कुरूपता को दूर भगा दें
नैतिक ज़िम्मेदारी समझ कर,
नैतिकता से काम करें
गंदगी फैला भूमि पर
माँ को न बदनाम करें
माँ तो है हम सब की रक्षक
हम इसके क्यों बन रहे भक्षक
जन्म भूमि है पावन भूमि,
बन जाएँ इसके संरक्षक
कुदरत ने जो दिया धरा को
उसका सब सम्मान करो
न छेड़ो इन उपहारों को,
न कोई बुराई का काम करो
धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो
बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो
माता को प्रणाम करो
बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो
आओ हम सब मिलजुल कर,
इस धरती को ही स्वर्ग बना दें
देकर सुंदर रूप धरा को,
कुरूपता को दूर भगा दें
नैतिक ज़िम्मेदारी समझ कर,
नैतिकता से काम करें
गंदगी फैला भूमि पर
माँ को न बदनाम करें
माँ तो है हम सब की रक्षक
हम इसके क्यों बन रहे भक्षक
जन्म भूमि है पावन भूमि,
बन जाएँ इसके संरक्षक
कुदरत ने जो दिया धरा को
उसका सब सम्मान करो
न छेड़ो इन उपहारों को,
न कोई बुराई का काम करो
धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो
बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो
vrishti1:
sorry I need of 16 lines

धरती माँ की पुकार
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07 -APR-2016 PIYUSH RAJ ENVIRONMENT POEMS 0 COMMENTS 1,183 VIEWS

धरती मां की पुकार
मच गया है हाहाकार
धरती मां की सुनो पुकार
मत काटो तुम पेंड़ो को
बंद करो ये अत्याचार
होती है तकलीफ मुझे
जब काटते तुम पेंड़ो को
होती है तकलीफ मुझे
जब नदियों में तुम
फेंकते हो गंदगियो को
अशुद्ध हो रही है हवाएँ
वातावरण हो रहा जहरीला है
खत्म हो रही हरियाली
भूमी हो रहा रेतीला है
मत खेलो तुम इतना मुझसे
कि जीना तुम्हारा
मुश्किल हो जाए
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Mati se hi janam hua hai
Mati mein hi mil jana hai
Dharti se hi jeevan apna
Dharti par hi saje sab sapna
Sab jeev jantu dhara par rahte
Ganga Yamuna yahi par bahte
Sabji Fal yahan hi ugte
Dhan Fasal yahan hi upje
Dharti ma ki dekh rekh kar
Hamko farz nibhana hai
Mati mein hi mil jana hai
Dharti se hi jeevan apna
Dharti par hi saje sab sapna
Sab jeev jantu dhara par rahte
Ganga Yamuna yahi par bahte
Sabji Fal yahan hi ugte
Dhan Fasal yahan hi upje
Dharti ma ki dekh rekh kar
Hamko farz nibhana hai
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