poem on disadvantages of social media inhindi
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सोशल मीडिया का जाल चारों तरफ छाया
लोगों को attract करने के लिये नये-नये
features लाया
कहीं status तो कहीं filters का मोह माया है।
आलम ऐसा है जनाब कि सोते-जागते सिर्फ इसका ही
ख्याल आया है।
कितने like, कितने comment, कितना engagement पाया है।
इसी से दिन शुरू और इसी में रात बिताया है।
एक notification की रिंग सुन कर
सबकुछ छोड़कर दौड़ा आया है,
एक आस लगी होती है,शायद like कोई बढ़ाया है,
या comment किसी का आया है।
इन उल जलूल के कामों में अपना दिमाग लगाया है।
अलग अलग pose में ढेरों फोटों खिंचाया है।
इस bubble reputation* के चक्कर में
ना जाने कितना समय गवाया है।
अब तुम्हे खुद को समझाना होगा,
अपने दिमाग को लगाना होगा।
इस फालतू के चक्कर से बाहर निकलना होगा
इनकी सच्चाई को जानना और
सामने आए रिजल्ट को मानना होगा।
क्या आपने कभी सोचा कि ये जो सोशल नेटवर्किंग
कंपनियां आपसे एक भी पैसा नही लेतीं,
तो अपने employee को salary कहाँ से देतीं ?
क्या आपने कभी गौर किया है कि जो छोटे छोटे ads
आपको बहुत भाते हैं,
आपके मन को कैसे पढ़ जाते हैं,
जो आपको पसंद हो वही stuff दिखाते हैं।
मतलब कुछ तो लोचा है,
जिसके बारे में आपने अभी तक नही सोचा है