poem on khub Liya anand jab khaye maa ke banaye vyanjan
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खुब लिया आनन्द माँ के हाथ खाना और व्यंजन
जब छोड़ के आए होटल का वह दिखावे वाला खाना |
वह गरम रोटी पर फूँक मार कर ,हाथों से अपने खिलाना
वह सिर पर हाथ रख सहलाना|
वह त्योहार के दिन में माँ के हाथों से बनी मिठाई खाना |
मठरी और नमकीन या मीठे शक्करपारे , तो कभी पन्ना का खट्टा मीठा अंदाज़
बहुत आनन्द आता है माँ के हाथों के स्वाद में |
खुब लिया आनन्द माँ के हाथ खाना और व्यंजन |
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