poem on Lala Lajpat Rai
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poem on Lala Lajpat Rai...
लाला लाजपत राय पर एक कविता...
जो ना झुका अग्रेंजों के आगे,
खाई लाठी जिसने भरपूर,
जान देकर भी अंग्रेजों का,
घमंड किया चकनाचूर
तुम भारत के लाल
तुम्हारे साथ बाल और पाल
तीनों की थी गजब की तिकड़ी
अंग्रेजो की नींद ले उड़ी
बेकार नही गया तुम्हारा बलिदान
भगतसिंह ने सांडर्स का काम-तमाम
फिर फाँसी के फंदे पर झूलकर
खुशी-खुशी दे दी जान
स्वभाव आपका था गरम
पर दिन के थे बडे नरम,
हर भारतीय की एक राय
अमर रहे लाजपत राय
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