Poem on parshan vachaksarvanaam
Answers
Answered by
1
हरे भरे मतवाले वृक्षधरती माँ का रूप सजाते,
हरे भरे मतवाले वृक्ष.
शीतल मधुर समीर बहाते,
होते बड़े निराले वृक्ष.
पथिकों को छाया देते हैं,
गर्मी के मौसम में वृक्ष.
नीर बादलों से लेते हैं,
प्रतिदिन अपने श्रम से वृक्ष.
देते हैं फल फूल निरंतर,
कभी नही कुछ लेते वृक्ष.
मानव सेवा धर्म मानकर,
अपना जीवन देते वृक्ष.
लेकिन मानव दानव बन कर,
सारे जंगल पाट रहा है.
वृक्षों के उपकार भूल कर,
प्रतिदिन इनको काट रहा है.
एक समय ऐसा आयेगा,
धरती बंजर हो जायेगी.
मानव की नादानी बच्चों,
मानव को ही खा जायेगी.
हरे भरे मतवाले वृक्ष.
शीतल मधुर समीर बहाते,
होते बड़े निराले वृक्ष.
पथिकों को छाया देते हैं,
गर्मी के मौसम में वृक्ष.
नीर बादलों से लेते हैं,
प्रतिदिन अपने श्रम से वृक्ष.
देते हैं फल फूल निरंतर,
कभी नही कुछ लेते वृक्ष.
मानव सेवा धर्म मानकर,
अपना जीवन देते वृक्ष.
लेकिन मानव दानव बन कर,
सारे जंगल पाट रहा है.
वृक्षों के उपकार भूल कर,
प्रतिदिन इनको काट रहा है.
एक समय ऐसा आयेगा,
धरती बंजर हो जायेगी.
मानव की नादानी बच्चों,
मानव को ही खा जायेगी.
Similar questions