Hindi, asked by kanishqgarg, 1 year ago

poem on soil in hindi

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Answered by jasmine12
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जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा
जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

kanishqgarg: not liked another poem can you send me on soil
jasmine12: ok
kanishqgarg: hurry up please
jasmine12: निर्मम कुम्हार की थापी से
कितने रूपों में कुटी-पिटी,
हर बार बिखेरी गई, किंतु
मिट्टी फिर भी तो नहीं मिटी!

आशा में निश्छल पल जाए, छलना में पड़ कर छल जाए
सूरज दमके तो तप जाए, रजनी ठुमकी तो ढल जाए,
यों तो बच्चों की गुडिया सी, भोली मिट्टी की हस्ती क्या
आँधी आये तो उड़ जाए, पानी बरसे तो गल जाए!

फसलें उगतीं, फसलें कटती लेकिन धरती चिर उर्वर है
सौ बार बने सौ बर मिटे लेकिन धरती अविनश्वर है।
मिट्टी गल जाती पर उसका विश्वास अमर हो जाता है।

विरचे शिव, विष्णु विरंचि विपुल
अगणित ब्रम्हाण्ड हिलाए हैं।
पलने म
kanishqgarg: its already in my book another poem
jasmine12: मेरी मिट्टी पुकारती मुझको,
लौट आओ मेरे आँचल में ;

तेरी आंखे सूनी सूनी हैं,
आजा भर दूं इनको काजल से,

मेरी गलियां पुकारती मुझको
लौट आ तू मेरी राहों में ;

उड़ती धुल मुझसे कहती है,
सिमट जा आज मेरी बाहों में!

ये खड़े पेड़ मुझसे कहते हैं,
मुझे तुझ से बात करनी है;

ज़रा पास से गुजर जा तू,
मैं जड़ हूँ तू मेरी टहनी है;

हवाओं ने कहा चुपके से,
ये रात सहमी सहमी है;

तेरा इंतज़ार है मुझको,
मुझे तुझ से बात करनी है! - See more at: http://www.poemocean.com/poem/culture-poems/meri-mitti-1927.html#sthash.w
kanishqgarg: thanks
jasmine12: welcome
kanishqgarg: its poets name and poem name
jasmine12: poem name- meri mitti and poet name - abhishek shukla
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