Poem on soil in Hindi
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मेरी मिट्टी पुकारती मुझको,
लौट आओ मेरे आँचल में ;
तेरी आंखे सूनी सूनी हैं,
आजा भर दूं इनको काजल से,
मेरी गलियां पुकारती मुझको
लौट आ तू मेरी राहों में ;
उड़ती धुल मुझसे कहती है,
सिमट जा आज मेरी बाहों में!
ये खड़े पेड़ मुझसे कहते हैं,
मुझे तुझ से बात करनी है;
ज़रा पास से गुजर जा तू,
मैं जड़ हूँ तू मेरी टहनी है;
हवाओं ने कहा चुपके से,
ये रात सहमी सहमी है;
तेरा इंतज़ार है मुझको,
मुझे तुझ से बात करनी है!
लौट आओ मेरे आँचल में ;
तेरी आंखे सूनी सूनी हैं,
आजा भर दूं इनको काजल से,
मेरी गलियां पुकारती मुझको
लौट आ तू मेरी राहों में ;
उड़ती धुल मुझसे कहती है,
सिमट जा आज मेरी बाहों में!
ये खड़े पेड़ मुझसे कहते हैं,
मुझे तुझ से बात करनी है;
ज़रा पास से गुजर जा तू,
मैं जड़ हूँ तू मेरी टहनी है;
हवाओं ने कहा चुपके से,
ये रात सहमी सहमी है;
तेरा इंतज़ार है मुझको,
मुझे तुझ से बात करनी है!
rathoreajeetadu:
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