Poem on winter season in hindi..
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सर्दी लगी रंग जमानेदांत लगे किटकिटानेनई-नई स्वेटरों कोलोग गए बाजार से लाने।
बच्चे लगे कंपकंपानेठंडी से खुद को बचानेढूंढकर लकड़ी लाएबैठे सब आग जलाने।
दिन लगा अब जल्दी जाने,रात लगी अब पैर.
सर्दी लगी रंग जमानेदांत लगे किटकिटानेनई-नई स्वेटरों कोलोग गए बाजार से लाने।
बच्चे लगे कंपकंपानेठंडी से खुद को बचानेढूंढकर लकड़ी लाएबैठे सब आग जलाने।
दिन लगा अब जल्दी जाने,रात लगी अब पैर.
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Answer:
poem 1...
सर्दी लगी रंग जमाने
दांत लगे किटकिटाने
नई-नई स्वेटरों को
लोग गए बाजार से लाने।
बच्चे लगे कंपकंपाने
ठंडी से खुद को बचाने
ढूंढकर लकड़ी लाए
बैठे सब आग जलाने।
दिन लगा अब जल्दी जाने,
रात लगी अब पैर फैलानेसुबह-शाम को कोहरा छाए
हाथ-पैर सब लगे ठंडाने।
सांसें लगीं धुआं उड़ाने
धूप लगी अब सबको भाने
गर्म-गर्म चाय को पीकर
सभी लगे स्वयं को गरमाने।
poem 2...
बचपन में हमें ठंड लगती सुहानी थी
जब पूरे घर में चलती हमारी मनमानी थी
स्कूल में पूरे 15 दिन की छुट्टी होती थी
वो भी दिन क्या मस्ती भरी होती थी
इन छुट्टियों में जी भर के खेलते थे,
ठंड से तनिक भी नहीं डरते थे,
हमको ठंड नहीं लगेगी सबसे
हम यही कहते थे
ठंड में माँ बहुत ख्याल रखती थी,
ठण्ड लग जायेगी बाहर मत जाना
हमेशा यही कहती रहती थी
लेकिन अब ये जवानी बहुत सताती है
गर्मी हो ठंड रोज ऑफिस का रास्ता दिखाती है.
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सांसें लगीं धुआं उड़ाने
धूप लगी अब सबको भाने
गर्म-गर्म चाय को पीकर
सभी लगे स्वयं को गरमाने।
- प्रकाशचंद्र शिखरे