Poems about school in hindi
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जाने हम कब बड़े हो गए ?
स्कूल के दिन न जाने कहाँ खो गए ?
दोस्तों की बातें जब भी याद आती है ।
आँखों में नमी सी छा जाती है ।
वो दोस्तों की गपसप, वो दोस्तों से लड़ना ।
टीचर के डाटने पर, छुप-छुप के हँसना ।
हर राह में दोस्तों का साथ निभाना ।
सही और गलत की पहचान कराना ।
वो अपना लंच छुपा कर खाना ।
वो दोस्तों का लंच झट से चट कर जाना ।
वो दोस्त के बीमार होने पर, उसको देखने जाना ।
वो उसका छुटा हुआ होमवर्क, खुद करके टीचर को दिखाना ।
कभी-कभी कोई बहाना बनाकर स्कूल न जाना |
और स्कूल जाते हीं छुट्टी होने की राह देखना |
कोई शरारत करके मासूम सा चेहरा बनाना |
सबसे छुपकर कक्षा में उत्पात मचाना |
कभी-कभी किसी दोस्त को मिलकर सताना |
अपने दोस्त के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाना |
दोस्तों के साथ हर दिन स्कूल आना-जाना |
कभी-कभी घर देर पहुँचने पर माँ की डांट खाना |
वो स्कूल के पल लौटकर ना आएंगे ।
हम बस उनको याद करके ही खुश हो जाएंगे ।
स्कूल के दिन न जाने कहाँ खो गए ?
दोस्तों की बातें जब भी याद आती है ।
आँखों में नमी सी छा जाती है ।
वो दोस्तों की गपसप, वो दोस्तों से लड़ना ।
टीचर के डाटने पर, छुप-छुप के हँसना ।
हर राह में दोस्तों का साथ निभाना ।
सही और गलत की पहचान कराना ।
वो अपना लंच छुपा कर खाना ।
वो दोस्तों का लंच झट से चट कर जाना ।
वो दोस्त के बीमार होने पर, उसको देखने जाना ।
वो उसका छुटा हुआ होमवर्क, खुद करके टीचर को दिखाना ।
कभी-कभी कोई बहाना बनाकर स्कूल न जाना |
और स्कूल जाते हीं छुट्टी होने की राह देखना |
कोई शरारत करके मासूम सा चेहरा बनाना |
सबसे छुपकर कक्षा में उत्पात मचाना |
कभी-कभी किसी दोस्त को मिलकर सताना |
अपने दोस्त के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाना |
दोस्तों के साथ हर दिन स्कूल आना-जाना |
कभी-कभी घर देर पहुँचने पर माँ की डांट खाना |
वो स्कूल के पल लौटकर ना आएंगे ।
हम बस उनको याद करके ही खुश हो जाएंगे ।
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