Hindi, asked by ashukkr3, 11 months ago

poetry on bhagat singh​

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Answered by omkargunde
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Answer:

उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है

उसे यह फ़िक्र है हरदम, नया तर्जे-जफ़ा क्या है?

हमें यह शौक देखें, सितम की इंतहा क्या है?

दहर से क्यों खफ़ा रहे, चर्ख का क्यों गिला करें,

सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें।

कोई दम का मेहमान हूँ, ए-अहले-महफ़िल,

चरागे सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ।

मेरी हवाओं में रहेगी, ख़यालों की बिजली,

यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी, रहे रहे न रहे।

Explanation:

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबी

कोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ

ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को

कि मैं आपका सामना चाहता हूँ

कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहले-महफ़िल

चिराग़े-सहर हूँ बुझा चाहता हूँ

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी

बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ

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