"poorab me lohi lagna" meaning in context of ch- Balgobin Bhagat
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पूरब में लोही लगना बालगोबिन भगत
पूरब में लोही लगना = प्रात:काल की लालिमा
यह प्रश्न बालगोबिन भगत पाठ से लिया गया है | बालगोबिन भगत पाठ रामवृक्ष बोनिपुरी द्वारा लिखा गया है| पाठ में विलक्षण चरित्र का उद्घाटन किया है जो मनुष्यता , लोक संस्कृति और सामूहिक चेतना का प्रतीक है| बालगोबिन भगत कबीर को अपना साहब मानते थे| अनाज में जो कुछ भी होता , वह पहले कबीर भी दरबार में दो आते है , वहाँ से जो कुछ भी मिलता था उसे से अपना गुज़ारा करते| वह किसी से बैर भाव नहीं रखते थे|
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भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
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पूरब में लोही लगना = प्रात:काल की लालिमा
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