Hindi, asked by yasmin21, 11 months ago

prabhati by raghuvir sahay summary in hindi

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Answered by chetanasoni
20

आया प्रभात

चंदा जग से कर चुका बात

गिन गिन जिनको थी कटी किसी की दीर्घ रात

अनगिन किरणों की भीड़ भाड़ से भूल गये

पथ‚ और खो गये वे तारे।

अब स्वप्नलोक

के वे अविकल शीतल अशोक

पल जो अब तक वे फैल फैल कर रहे रोक

गतिवान समय की तेज़ चाल

अपने जीवन की क्षण–भंगुरता से हारे।

जागे जन–जन‚

ज्योतिर्मय हो दिन का क्षण क्षण

ओ स्वप्नप्रिये‚ उन्मीलित कर दे आलिंगन।

इस गरम सुबह‚ तपती दुपहर

में निकल पड़े।

श्रमजीवी‚ धरती के प्यारे।

∼ रघुवीर सहाय

Hope it will help you

Answered by Zeno3
5

आया प्रभात

चंदा जग से कर चुका बात

गिन गिन जिनको थी कटी किसी की दीर्घ रात

अनगिन किरणों की भीड़ भाड़ से भूल गये

पथ‚ और खो गये वे तारे।

अब स्वप्नलोक

के वे अविकल शीतल अशोक

पल जो अब तक वे फैल फैल कर रहे रोक

गतिवान समय की तेज़ चाल

अपने जीवन की क्षण–भंगुरता से हारे।

जागे जन–जन‚

ज्योतिर्मय हो दिन का क्षण क्षण

ओ स्वप्नप्रिये‚ उन्मीलित कर दे आलिंगन।

इस गरम सुबह‚ तपती दुपहर

में निकल पड़े।

श्रमजीवी‚ धरती के प्यारे।

∼ रघुवीर सहाय

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