Hindi, asked by sanjaikumar6753, 1 year ago

pradooshan ek vikat samasya'' par nibhand likiye

Answers

Answered by saurabh1996
4
प्रदूषण पर निबंध 4 (300 शब्द)

प्रदूषण शब्द का अर्थ होता है चीजो को गन्दा करना। तदनुसार प्राकृतिक संसाधनों का प्रदूषण, पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन का कारण बनता है। वर्तमान में हम प्राणघातक रूप से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से घिरे हुए हैं। प्रदूषण, क़ुदरती प्राकृतिक पर्यावरण की तुलना में बहुत तेज दर से पर्यावरण में किसी भी वाह्य या जहरीले पदार्थ का मिश्रण होता है| इस शैतानीय सामाजिक समस्या के मुख्य कारण हैं औद्योगीकरण, वनों की कटाई और शहरीकरण, प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उपोत्पाद जो की सामान्य जीवन की दिनचर्या के रूप इस्तेमाल की जाती है|

वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भू प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदुषण के प्रकार है जो की मानव जाति के लिए प्रतच्छ स्वास्थ विकार है| हमारे पास पिने के लिए स्वच्छ पानी, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा, और फसल उगाने ने लिए प्रदुषण रहित भूमि नहीं है। भविष्य में इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए इस व्यापक रूप से फैल रहे प्रदूषण को नियंत्रित करना पड़ेगा। विभिन्न प्रकार के प्रदूषक जो की हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बिगड़ रहे हैं वे हैं गैस (NO, SO2, CO2, CO, NO2), हैलोजन (आयोडीन, क्लोरीन, ब्रोमीन), जमा पदार्थ (धूल, धुंध, कंकरी), एग्रोकेमिकल्स (इंसेक्टिसाइड, कीटनाशक, शाकनाशी), शोर, फोटोकेमिकल ओक्सिदेंट्स (फोटोकेमिकल स्मोग, पेरॉक्सीएसीटिल नाइट्रेट, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्सीडेस), उद्योगों से कार्बनिक यौगिक (एसिटिक एसिड, बेंजीन, ईथर), रेडियोएक्टिव पदार्थ (रेडियम, थोरियम), कुछ ठोस अपशिष्ट (राख, कचरा), आदि ।

प्रदूषण आधुनिक युग के औद्योगिक समाजों का सबसे बड़ा पार्श्व प्रभाव है जहां की औद्योगिक विकास और ग्रीन हाउस प्रभाव प्रतिकूल रूप से पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया है। औद्योगीकरण की वजह से जीवन रक्षा प्रणाली तेजी से जीवन विनाशी प्रणाली में परिवर्तित हो रही है। मानव लोभ और कुछ भी करने की आज़ादी, गंभीर पतन और संसाधनों के कुप्रबंधन की ओर ले जा रही है|

Answered by A2002
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प्रदूषण पर निबंध 4 (300 शब्द)

प्रदूषण शब्द का अर्थ होता है चीजो को गन्दा करना। तदनुसार प्राकृतिक संसाधनों का प्रदूषण, पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन का कारण बनता है। वर्तमान में हम प्राणघातक रूप से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से घिरे हुए हैं। प्रदूषण, क़ुदरती प्राकृतिक पर्यावरण की तुलना में बहुत तेज दर से पर्यावरण में किसी भी वाह्य या जहरीले पदार्थ का मिश्रण होता है| इस शैतानीय सामाजिक समस्या के मुख्य कारण हैं औद्योगीकरण, वनों की कटाई और शहरीकरण, प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उपोत्पाद जो की सामान्य जीवन की दिनचर्या के रूप इस्तेमाल की जाती है|

वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भू प्रदूषण सबसे खतरनाक प्रदुषण के प्रकार है जो की मानव जाति के लिए प्रतच्छ स्वास्थ विकार है| हमारे पास पिने के लिए स्वच्छ पानी, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा, और फसल उगाने ने लिए प्रदुषण रहित भूमि नहीं है। भविष्य में इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए इस व्यापक रूप से फैल रहे प्रदूषण को नियंत्रित करना पड़ेगा। विभिन्न प्रकार के प्रदूषक जो की हमारे प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बिगड़ रहे हैं वे हैं गैस (NO, SO2, CO2, CO, NO2), हैलोजन (आयोडीन, क्लोरीन, ब्रोमीन), जमा पदार्थ (धूल, धुंध, कंकरी), एग्रोकेमिकल्स (इंसेक्टिसाइड, कीटनाशक, शाकनाशी), शोर, फोटोकेमिकल ओक्सिदेंट्स (फोटोकेमिकल स्मोग, पेरॉक्सीएसीटिल नाइट्रेट, ओजोन, नाइट्रोजन ऑक्सीडेस), उद्योगों से कार्बनिक यौगिक (एसिटिक एसिड, बेंजीन, ईथर), रेडियोएक्टिव पदार्थ (रेडियम, थोरियम), कुछ ठोस अपशिष्ट (राख, कचरा), आदि ।

प्रदूषण आधुनिक युग के औद्योगिक समाजों का सबसे बड़ा पार्श्व प्रभाव है जहां की औद्योगिक विकास और ग्रीन हाउस प्रभाव प्रतिकूल रूप से पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित किया है। औद्योगीकरण की वजह से जीवन रक्षा प्रणाली तेजी से जीवन विनाशी प्रणाली में परिवर्तित हो रही है। मानव लोभ और कुछ भी करने की आज़ादी, गंभीर पतन और संसाधनों के कुप्रबंधन की ओर ले जा रही है|
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