Pragati ka Sandesh Namak Vishay ko Dhyan Mein rakhte Hue nibandh likhiye
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प्रगति अमूल्य है। वस्तुत: आज का मानव प्रगति की ही उपज है । आज से हजारों वर्ष पहले मानव का रूप, रंग आकार बिल्कुल भिन्न था । यह जीने की कला से भी अनभिज्ञ था ।
दिमाग होते हुए भी इसके उपयोग से बेखबर था । इसे केवल भोजन और आवास की चिन्ता होती थी । भोजन को पकाने का भी ज्ञान नहीं था । धीरे-धीरे मानव की आवश्यकताएँ बढ़ने लगीं और वह अनजाने में ही अपने खानाबदोश जीवन से स्थायी जीवन की ओर अग्रसर हुआ ।
स्थायी निवास के कारण इसने कई समस्याओं का समाधान किया और दुरूह जीवन बेहतर होता चला गया । इसी प्रक्रिया का नाम प्रगति है । मानव का वर्तमान स्वरूप उसकी कई पीढ़ियों की सतत प्रगति का परिणाम है । प्रगति के आरंभिक दिनों में कंटकाकीर्ण पथ पर चलने का आदि मानव आज पृथ्वी से दूर चन्द्रमा तक पहुँच गया है । प्रकृति की कृपा पर निर्भर यह मानव आज अजेय हो गया है । सम्पूर्ण प्रकृति, कृपा को आज अपनी अंगुली पर नचाने वाला यह मानव प्रगति के मूल्य को समझ चुका है ।
दिमाग होते हुए भी इसके उपयोग से बेखबर था । इसे केवल भोजन और आवास की चिन्ता होती थी । भोजन को पकाने का भी ज्ञान नहीं था । धीरे-धीरे मानव की आवश्यकताएँ बढ़ने लगीं और वह अनजाने में ही अपने खानाबदोश जीवन से स्थायी जीवन की ओर अग्रसर हुआ ।
स्थायी निवास के कारण इसने कई समस्याओं का समाधान किया और दुरूह जीवन बेहतर होता चला गया । इसी प्रक्रिया का नाम प्रगति है । मानव का वर्तमान स्वरूप उसकी कई पीढ़ियों की सतत प्रगति का परिणाम है । प्रगति के आरंभिक दिनों में कंटकाकीर्ण पथ पर चलने का आदि मानव आज पृथ्वी से दूर चन्द्रमा तक पहुँच गया है । प्रकृति की कृपा पर निर्भर यह मानव आज अजेय हो गया है । सम्पूर्ण प्रकृति, कृपा को आज अपनी अंगुली पर नचाने वाला यह मानव प्रगति के मूल्य को समझ चुका है ।
diasati18Disha:
Plz mark it as brainliest
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