prakarti pr kavita likhe
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काली घटा छाई है।
लेकर साथ अपने यह,
ढेर सारी खुशियां लायी है,
ठंडी ठंडी सी हवा यह,
बहती कहती चली आ रही है,
काली घटा छाई है।
कोई आज बरसों बाद खुश हुआ,
तो कोई आज खुशी से पकवान बना रहा,
बच्चों की टोली यह,
कभी छत तो कभी गलियों में,
किलकारियां सीटी लगा रही,
काली घटा छाई है।
जो गिरी धरती पर पहली बूँद,
देख इसको किसान मुस्कराया,
संग जग भी झूम रहा,
जब चली हवाएँ और तेज,
आंधी का यह रूप ले रही,
लगता ऐसा कोई क्रांति अब शुरु हो रही,
छुपा जो झूट अमीरों का,
कहीं गली में गढ़ा तो कहीं,
बड़ी बड़ी ईमारत यूँ ड़ह रही,
अंकुर जो भूमि में सोये हुए थे,
महसूस इस वातावरण को,
वो भी अब फूटने लगे,
देख बगीचे का माली यह,
खुशी से झूम रहा,
और कहता काली घटा छाई है,
साथ अपने यह ढेर सारी खुशियां लायी है।।
- Ved Rahi
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punjabi language.
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hope its helpful.xD
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