prakriti aur hum is vishay par aaj halat ko dekhkar hue ek nibandh likhiye
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प्रकृति और हम
Explanation:
आज प्रकृति पर मंडराती समस्या युवा पीढ़ी के लिए सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है। इस समस्या का अगर कोई सबसे बड़ा कारण है तो स्वयं हम मनुष्य ही है ।
मनुष्यों के द्वारा की गई छोटी बड़ी गलतियों का परिणाम इस समस्या के रूप में दिखाई दे रहा है। हम विज्ञान में बहुत प्रगति कर चुके हैं पर इसका दूसरा पहलू भी है। विज्ञान यूं तो हमारे लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है पर इसका बुरा प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। हम आजकल विज्ञान द्वारा निर्मित नए-नए यंत्रों का प्रयोग करते हैं परंतु हमारा ध्यान इस और नहीं जाता कि इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
विज्ञान विज्ञान द्वारा निर्मित यंत्रों और उपकरणों के प्रयोग से ही आज हमारे प्रकृति बहुत आहत हो चुकी है। आजकल इक्का-दुक्का लोग ही हैं जो जो प्रकृति को लेकर सजग हैं।
पहले पहले के युग में लोग प्रकृति को सर्वश्रेष्ठ मानते थे। सभी लोग प्रकृति से जुड़े हुए रहते थे एवं प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेते थे।
आजकल प्रकृति एक छोटा-मोटा विषय बन कर रह गई है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही मनुष्य का विनाश निश्चित है। आज की युवा पीढ़ी को प्रकृति को लेकर सजग रहने की आवश्यकता है। प्रकृति से दूर रहकर कोई स्वस्थ नहीं रह सका है एवं इस बात का इतिहास गवाह है।
अंततः मैं आपसे यही अनुरोध करना चाहूंगी की अभी और आज से ही हमें प्रकृति को लेकर सजग रहने का शपथ ग्रहण करना चाहिए। प्रकृति हमारी माता के समान है एवं मनुष्य का प्रकृति से अटूट संबंध चलता आ रहा है।
आपका दिन शुभ हो।
HOPE IT WILL HELP YOU
MARK AS THE BRAINLIEST !
प्रकृति और हम इस विषय पर आज हालत को देखकर हुए एक निबंध
आज के समय में देखा जाए तो कोरोना जैसे महामारी फैलने के जिम्मेदार हम मनुष्य ही है| हमें प्रकति को इतना दुखी कर दिया था कि आज हम सब मनुष्य कैद अपने घरों में कैद है और प्रकति खुश है|
आज बात करें तो आज हमारी प्रकति , धरती सब बहुत खुश है| आज वह आज़ादी और ताज़ी सांसे ले रही है| चारों तरफ़ हरियाली की तरह दिखाई देती है| आज प्रकति ने मनुष्य को सज़ा को दी है| आज प्रकति के जीव पशु-पक्षी , जानवर सब खुश है , और हम मनुष्य आज गुलाम है|
आज की पीढ़ी प्रकृति के साथ गलत कर रही है । अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रकृति को दाव पर लगा दिया है | प्रतिदिन सड़क पर लाखों की संख्या में नई गाड़ियाँ आ जाती हैं, जिसका मतलब होता है पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती हुई खपत। इससे वायु प्रदूषण होता है। जल की कीमत को बहुत कम ही लोग पहचानते हैं और ज्यादातर लोग जल की बरबादी करने में माहिर होते हैं। आज नए शहर बसाने और नई फैक्टरियाँ लगाने के लिए जंगल के जंगल साफ किए जा रहे हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है।
इसे रोकने के लिए हम सब को अपना योगदान देना होगा। हमें सार्वजनिक यातायात के साधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा। जल को बचाने के लिए उसका सदुपयोग करना होगा उसका दुरुपयोग से सब को रोकना होगा। प्लास्टिक के उपयोग में कमी लानी होगी। बिजली बचाने के नए-नए उपाय खोजने होंगे। थोड़ी दूरी तय करने के लिए हमें साईकिल का उपयोग करना चाहिए | हमें चारों तरफ़ पेड़ लगाने होगे और साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा |