Hindi, asked by aadityasehdev2, 4 months ago

Prakriti ko bachane hetu sandesh lekhan​

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Answered by cjha33976
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भौतिक विकास के पीछे दौड़ रही दुनिया ने आज जरा ठहरकर सांस ली तो उसे अहसास हुआ कि चमक-धमक के फेर में क्या कीमत चुकाई जा रही है। आज ऐसा कोई देश नहीं है जो पर्यावरण संकट पर मंथन नहीं कर रहा हो। भारत भी चिंतित है। लेकिन, जहांं दूसरे देश भौतिक चकाचौंध के लिए अपना सबकुछ लुटा चुके हैं, वहीं भारत के पास आज भी बहुत कुछ बाकि है। पश्चिम के देशों ने प्रकृति को हद से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। पेड़ काटकर जंगल के कांक्रीट खड़े करते समय उन्हें अंदाजा नहीं था कि इसके क्या गंभीर परिणाम होंगे? प्रकृति को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए पश्चिम में मजबूत परंपराएं भी नहीं थीं। प्रकृति संरक्षण का कोई संस्कार अखण्ड भारतभूमि को छोड़कर अन्यत्र देखने में नहीं आता है। जबकि सनातन परम्पराओं में प्रकृति संरक्षण के सूत्र मौजूद हैं।

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Answered by Aaaryaa
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दुनियाभर में बुधवार को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जा रहा है. इस मौके पर लोगों से अपने वातावरण को स्वच्छ रखने, धरती को बचाने और पेड़ों के संरक्षण की अपील की जा रही है. विश्व पर्यावरण दिवस के मद्देनजर भारत सरकार ने इस बार एक अनोखी मुहिम छेड़ी है. इसके तहत लोगों को पौधरोपण का संदेश दिया जा रहा है. 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर केन्द्र सरकार ने देशव्यापी स्तर पर पौधारोपण अभियान से लोगों को सेल्फी के माध्यम से जोड़ने की पहल की है. इधर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी पर्यावरण दिवस को लेकर देशवासियों से अपनी धरती को स्वच्छ रखने और प्रकृति के साथ मानव के सामंजस्य को बनाए रखने की अपील की है.

केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बीते मंगलवार को बताया कि सेल्फी विद सेपलिंग’’ नाम से शुरू की गई इस मुहिम के तहत देशवासियों से बुधवार को पर्यावरण दिवस के मौके पर एक पौधा लगाकर उसके साथ अपनी सेल्फी साझा करने की अपील की गई है. जावड़ेकर ने कहा कि सोशल मीडिया पर हैशटेग सेल्फी विद सेपलिंग के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने लगाए पौधे के साथ ली गई सेल्फी को मंत्रालय को भेज सकता है. उन्होंने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि करोड़ों लोग पर्यावरण दिवस के मौके पर कोई न कोई पौधा लगाकर इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे.’’

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