Pralayanantharakeralam essay
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Answer:
pranghatkam kya hota hai nahi pata isse acha mai poem suna deta hu
Explanation:
सच हो या कोई छलावा
-यश चांडक
देखा जब तुम्हें पहली बार..
हुआ नहीं ऐतबार..
फिर भी मैंने खुद को समझाया
पर तो भी यक़ीन नहीं आया की
भगवान ने इतना हसीन किसी को कैसे बनाया..
तुम्हें देख के के मेरा ❤ कहीं खों गया
पर दिमाग चैन की नींद सो गया..
तुम्हें देख के ना शब्द निकले...
नाही आवाज़ ,
बस तुम्हें देखता ही रह गया।।
तुम्हारे आवाज़ में अलग बात है।
ऐसी नशीली तुम्हारी आवाज़ है..
मन करता है कि बस तुम्हारी बातें सुनता रहू..
तुम्हारे ही हर पल दीदार करता रहू ..।
बहाने ढूंढ़ता हूं , तुम्हारी झलक पाने के लिए...
चाहिए नहीं, मुझे तुम हमेशा के लिए ..
बस एक झलक ही है काफी मेरे लिए,
एक झलक ही काफी है मेरे लिए।
तुम्हारे चेहरे की मुस्कुराहट अपना काम कर देती...
मेरे पुरे दिन की थकान को चुटकी में खत्म कर देती..
तिरछी नज़र तुम्हारी शायद मुझे ही ढूंढ़ती
अगर मैं मिल जाता तो तुम मेरे अंदर एक शक्स ढूंढ़ती...एक ऐसा शक्स
जिसे
प्यार करना अता है
❤ देना अता है
जीना अता है..
बातें करने का मन करता है तुमसे दिन-रात..
पर कंभकत यह वक़्त... मेरी इसी ख्वाहिश को पुरा नहीं कर पाता है..
और जब हम बात करते है तो, तुम्हारे घर से फ़ोन अाता है...
ऐसी बात नहीं है कि कभी प्यार नहीं हुआ
पर यह बात अलग है कि कभी पहले ऐसा एहसास नहीं हुआ...
प्यार है मुझे तुमसे ,
पहली नजर से...
ऐसे एहसास के लिये तरसा नाजने कब से ...
"आज जब तुम मिली तो यह समझ आया,
की खुदा ने भी मेरे लिए किसी को तो बनाया.."
जब पहली बार तुम्हे देखा, मैं तुम में ही खोया गया
मेरे लिये वक़्त भी थम गया...
मेरा ❤ भी रुक गया..
बस तुम्हारी एक मुस्कुराहट ने यह सब कर दिया.
तो सोचता हूं कि जब तुम मेरे साथ होगी
जब हर पल बस तुम मेरे पास होगी
कुछ सोच तो पाया हूं तुम्हारे अलवा...
तुम सच हो या कोई छलावा...
तुम्हारा चेहरा जब नज़र आए...
यह वक़्त उसी उसी लमेहे पर थम जाएं...
एक ही गुज़ारिश है आप से ये बात कहीं आगे ना जाए
बस हमारे बीच ही रह जाए...