Hindi, asked by sataksheevimal70, 8 hours ago

prasang vyakhya of ek phul ki chah
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Answered by Army7Jungkook
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व्याख्या – कवि कहता है कि जो बच्ची कभी भी एक जगह शांति से नहीं बैठती थी, वही आज इस तरह न टूटने वाली शांति धारण किए चुपचाप पड़ी हुई थी। कवि कहता है कि उसका पिता उसे झकझोरकर खुद ही पूछना चाहता था कि उसे देवी माँ के प्रसाद का फूल चाहिए और वह उसे उस फूल को ला कर दे। पाकर समुदित रवि कर जाल। मुखरित उत्सव की धारा।

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