prasthuth padyansh mau sangya or sarvanam likhe
. उसके चेहरे पर एक स्थायी विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभकिसी भी दशा
में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों मुनियों केजितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठाको पहुँच गए हैं, पर आदमी
उसे बेवकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित् सीधापन् संसार के लिए उपयुक्त
नहीं है। देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है? क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया
जाता? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी तोड़कर काम करते हैं, किसी
सेलड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम है।
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संज्ञा सर्वनाम
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अमेरिका
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