Pratha kalin bhraman ka anand par anuched
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प्रातः काल का भ्रमण शरीर के लिए बेहतरीन व्यायाम होता है। इससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत सारे लाभ मिलते हैं। प्रातः काल का समय बहुत ही शांत, स्फूर्तिदायक तथा शीतल होता है। सुबह बाहर के वातावरण में घूमने फिरने से शरीर को भी स्फूर्ति मिलती है और मन चंचल रहता है। सुबह की ठंडी पवन और उसमें भ्रमण करना दिन को एक सुंदर तरीके से शुरूआत देते हैं जिससे दिनभर के भाग-दौड़ में थकान बिलकुल महसूस नहीं होती।
मैं प्रतिदिन प्रातः काल सूर्योदय होने से पूर्व भ्रमण करने जाता हूं। मैं किसी भी प्रकार से सवेरे भ्रमण करना नहीं भूलता। प्रातः काल के भ्रमण के लिए स्थान भी सही होना बहुत आवश्यक है इसलिए प्रतिदिन मैं सुबह जल्दी उठता हूं और अपने स्पोर्ट्स जूते पहनकर 2 किलोमीटर दूर पार्क जाता हूं। पार्क जाने के बाद मैं कुछ योग आसन करता हूं और कुछ व्यायाम भी करता हूँ। वहां हमारे आस-पास के लोगों को व्यायाम करते हुए देख कर मुझे बहुत ख़ुशी होती है।चिड़ियों का चहचहाना और लहलहाते खेतों को देखकर मन को बहुत आनंद मिलता है। प्रातः काल के समय पवन सबसे ज्यादा स्वच्छ होता है जिसके कारण हम दिन भर उत्साह के साथ अपना अभी कार्य करते हैं। व्यायाम करने के बाद में अपने घर को लौट जाता हूँ। वैसे तो व्यायाम करने के बाद थोड़ा थकान महसूस होता है परन्तु बाद में इसके बहुत सारे लाभ मिलते हैं।
जिस प्रकार हमें शुद्ध भोजन व शुद्ध पानी चाहिए उसी प्रकार हवा भी शुद्ध होना चाहिए। सवेरे के समय अगर आप भ्रमण करते हैं तो ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा शरीर को मिलती है। घर लौटने के बाद मैं स्नान करता हूं। परंतु प्रातः काल के भ्रमण के पास मेरा पूरा दिन स्फूर्ति से भरा हुआ रहता है।प्रातः काल में भ्रमण करने के कई प्रकार के फायदे हैं जैसे यह हमारा दिन भर ताज़गी से भर देता है और शरीर के कई प्रकार के भयानक रोगों के दूर रखता है। इससे भूख अच्छे तरीके से लगता है और मांसपेशियों में मजबूती आती है।प्रातःकाल का भ्रमण पर निबंध :
भूमिका : व्यक्ति को सबसे पहले अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करनी चाहिए क्योंकि व्यक्ति के बहुत से कर्त्तव्य होते हैं। इन कर्त्तव्यों को बिना अच्छे स्वास्थ्य के पूरा नहीं किया जा सकता है। स्वास्थ्य की रक्षा के अनेक साधन होते हैं। प्रातःकाल के भ्रमण का इन साधनों में बहुत महत्व है।
प्रातः काल का दृश्य दिन के सभी दृश्य के मुकाबले में अधिक मनोहर और मन मोह लेने वाला होता है। रात के बाद जब उषा की मधुर मुस्कान उत्पन्न होती है वो हमारे ह्रदय को जीत लेने वाली मुस्कान होती है। धरती के कण-कण में नया उल्लास और उमंग छा जाती है। ऐसे समय में भ्रमण करना बहुत ही लाभकारी होता है।
प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ समय : प्रकृति प्रातः काल सभी जीवों को स्वास्थ्य का वरदान देती है। अलग-अलग ऋतुओं की सुगंध वाली वायु भी उसी समय चलना शुरू होती है। चारों ओर आनंद छाया होता है। खुशबू से भरे खिलखिलाने वाले फूल बहुत ही मोहक लगते हैं। जो फूल बेलों से झड़ते हैं उन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे वे धरती का श्रृंगार कर रहे हों।
चारों ओर हरियाली को देखकर मन मस्ती से भर जाता है। पक्षियों का चहचहाना मन को बहुत ही प्रसन्नता देता है। प्रातः काल का सूर्य और अस्त होता हुआ सूर्य ऐसा लगता है जैसे भगवान की दो आँखें आँख-मिचौली खेल रही हो। जो मनुष्य ऐसे समय में भ्रमण करता है उसका स्वास्थ्य ही नहीं अपितु उसकी आयु भी दीर्घ होती है।
प्रातःकाल के भ्रमण के लाभ : प्रातः काल का भ्रमण करने से मनुष्य के शरीर में फुर्ती के साथ-साथ नए जीवन का भी संचार होता है। हमारा मन अनेक प्रकार की खुशियों से भर जाता है। पूरे दिन काम करने से भी व्यक्ति थकता नहीं है। पूरे दिन मुंह पर तेज सा छाया रहता है। साफ हवा से रक्त भी साफ होता है। फेफड़ों को भी बल मिलता है।
जब बूंदों से सजी घास पर नंगे पैरों से चलते हैं तो दिमाग के सभी रोग ठीक हो जाते हैं। मनुष्य के शरीर में बुद्धि, तेज और यश की वृद्धि होती है। मनुष्य में परिश्रम और साहस की शक्ति आ जाती है। व्यक्ति के दो शत्रु होते हैं- आलस्य और काम। जो लोग प्रातः काल का भ्रमण करते हैं उन लोगों के पास ये दोनों फटकते भी नहीं हैं।
प्रातः काल का भ्रमण की हानियाँ : आजकल सभी लोग बैठकर काम करते हैं। सभी लोग सुबह से लेकर शाम तक बैठकर ही काम करते हैं। मनुष्य शरीर से परिश्रम बिलकुल भी नहीं करता है। शरीर के जिस भाग से काम नहीं किया जाता है वो नाकारा हो जाता है।
जब मनुष्य प्रातः काल का भ्रमण करता है तो उसके शरीर का हर भाग हरकत करने लगता है। जो लोग बुद्धिजीवी होते हैं उनके चेहरे पीले और शरीर क्षीण दिखता है। व्यापारी, विद्यार्थी, अध्यापक, दफ्तर के क्लर्क ये सभी बुद्धिजीवी होते हैं। इसी कारण आजकल प्रातः काल का भ्रमण जरूरी होता है।
प्रातः काल का भ्रमण की आवश्यकता : जो मनुष्य आज सभ्य और शिक्षित कहलाता है वो बिस्तर से तब उठता है जब धूप आधे आकाश में आ जाती है। वह चाय भी बिस्तर पर ही पीता है। इन सब का परिणाम उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है वह चिडचिडा हो जाता है और उसके निर्णय करने की शक्ति क्षीण हो जाती है। लेकिन जो लोग प्रातः काल का भ्रमण करते हैं वे स्वस्थ और हंसते हुए दिन को बिताते हैं।
उपसंहार : प्रातः काल में भ्रमण न करने से हमारे स्वास्थ्य को बहुत बड़ा नुकसान होता है लेकिन प्रातः काल का भ्रमण करने से हमें स्वस्थ रहने का वरदान मिलता है। हमें प्रातः काल के भ्रमण की आदत डाल लेनी चाहिए यह हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होती है
प्रातःकालीन भ्रमण का आनंद
Explanation:
प्रातःकालीन भ्रमण को प्राचीन काल से ही एक औषधि के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि हम प्रातः काल में भ्रमण करते हैं तो हमारे सेहत अच्छी बनी रहती है और हमारा शरीर चुस्त दुरुस्त रहता है।
प्रातः काल भ्रमण करने से हमें बहुत आनंद प्राप्त होता है। प्रातः काल में हरी घास पर चलने से पैर ठंडे और बहुत गुदगुदा महसूस करते हैं। इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है और हमें बहुत अच्छा भी महसूस होता है। प्रातः कालीन भ्रमण से हमें ताजी हवा और पक्षियों के चहचाहने और कोयल के मीठे सुरीले गीत सुनने का भी अवसर प्राप्त होता है।
प्रातः कालीन भ्रमण से हमें प्रकृति की ताजी निकली सुंदरता को देखने का एक अवसर प्राप्त होता है। यही सब प्राकृतिक सुंदरता है मिलकर हमारे प्रातः काल भ्रमण को आनंदमय बनाती हैं।
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