Hindi, asked by asthasahu82, 10 months ago

Pratham Vishwa Yudh mein France mein Bhartiya sainikon ki veerta vishay par Apne vichar likhiye

Answers

Answered by ripusingh0189
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Answer:

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना (जिसे कभी-कभी 'ब्रिटिश भारतीय सेना' कहा जाता है) ने प्रथम विश्व युद्ध में यूरोपीय, भूमध्यसागरीय और मध्य पूर्व के युद्ध क्षेत्रों में अपने अनेक डिविजनों और स्वतन्त्र ब्रिगेडों का योगदान दिया था। दस लाख भारतीय सैनिकों ने विदेशों में अपनी सेवाएं दी थीं जिनमें से 62,000 सैनिक मारे गए थे और अन्य 67,000 घायल हो गए थे। युद्ध के दौरान कुल मिलाकर 74,187 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी।

1903 में किचनर को भारत का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किये जाने के बाद भारतीय सेना में प्रमुख सुधार किये गए थे। उनहोंने बड़े पैमाने पर सुधारों की शुरुआत की जिनमें प्रेसीडेंसियों की तीनों सेनाओं को एकीकृत कर एक संयुक्त सैन्य बल बनाना और उच्च-स्तरीय संरचनाओ तथा दस आर्मी डिविजनों का गठन करना शामिल है।[1]

प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सेना ने जर्मन पूर्वी अफ्रीका और पश्चिमी मोर्चे पर जर्मन साम्राज्य के विरुद्ध युद्ध किया। यप्रेस के पहले युद्ध में खुदादाद खान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय बने। भारतीय डिवीजनों को मिस्र, गैलीपोली भी भेजा गया था और लगभग 700,000 सैनिकों ने तुर्क साम्राज्य के खिलाफ मेसोपोटामिया में अपनी सेवा दी थी।[2] जब कुछ डिवीजनों को विदेश में भेजा गया था, अन्य को उत्तर पश्चिम सीमा की सुरक्षा के लिए और आंतरिक सुरक्षा तथा प्रशिक्षण कार्यों के लिए भारत में ही रहना पड़ा था।

Answered by rajgraveiens
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प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिक पूरा दम लगा के  लड़े उनको आशा थी की अंग्रेज़ लोग इससे खुश हो जाएंगे और  उनको आजाद कर देंगे |

Explanation:

जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ तब भारत ब्रिटिश सरकार के आधीन था यह भारत का परिपक्व काल था |इस समय तक भारत गुलामी की जंजीरों से मानसिक रूप से जकड़ा हुआ था| सरकार को मई बाप कहने  वाली स्थिति थी | इसलिए अंग्रेज़ो ने भी सहायता भारत से मांगी भारत ने उसी दी की  वह उनको आजाद कर देंगे इसलिए कह सकते भारत से जो सैनिक लड़ने  गए थे वह इसको स्वामिभक्ति मानते थे | भारतीयो सैनिको को जहा पर भी लड़ने भेजा गया वह बेचारे जी और जान  से लड़े  ताकि उन्हे उनके देश मे आजादी मिल जाएगी पर ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ बल्कि उनके साथ जालियाँवाला बाग जैसे कांड और हो गए |

भारत की ओर से प्रथम विश्व युद्ध में 8 लाख सैनिक गए थे जिसमे से  47000 के करीब मारे गए और 65000 के करीब जो थे वह बुरी तरीके से घायल हो गए थे | इसके परिणाम यह हुआ की भारत की अर्थ व्यवस्था बहुत खराब हो गयी | पूरे भारत देश को अंग्रेज़ो से यह आशा थी की वह भारत सैनिको का उनकी तरफ से लड़ने के लिए अंग्रेज़ खुश होंगे और उनको आजादी दे देंगे | पर ऐसा कुछ भी नही हुआ और उल्टा और भी अत्याचार करने लगे |

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