prithvi ki antriik trange
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पृथ्वी की आंतरिक संरचना :
पृथ्वी के आंतरिक भाग की बनावट का सबसे मजबूत साक्ष्य भूकम्प विज्ञान है |
भूकम्प विज्ञान की जानकारी के पहले पृथ्वी की आंतरिक संरचना की जानकारी हमें दो प्रमाणों से प्राप्त होती है –
दबाब –( घनत्व , तापमान)
ज्वालामुखी क्रिया
इन दोनों के तहत कुछ जानकारी प्राप्त होती थी |
earth internal parts
पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत अर्थात क्रस्ट का घनत्व 3.0 ग्राम/घन सेमी है |
जबकि पूरी पृथ्वी का घनत्व 5.0 ग्राम/घन सेमी है |
जबकि पृथ्वी की अन्तरतम अर्थात कोर का घनत्व 11 ग्राम/घन सेमी है |
दबाब के द्वारा –
कोर का इतना अधिक घनत्व दबाव के चलते है क्योंकि सतह से जैसे-जैसे अन्दर की तरफ अर्थात कोर की तरफ बढ़ते हैं वैसे-वैसे पृथ्वी पर दबाव बढ़ता जाता है | चट्टानों का भार बढ़ता जाता है उसी अनुपात में दबाव बढ़ता जाता है और जैसे जैसे दबाव बढता है वैसे वैसे घनत्व बढता चला जाता है |
एक तथ्य और सामने आया कि कोर का घनत्व इतना अधिक कैसे है तब यह तथ्य निकलकर सामने आया कि कोर स्वयं निकिल और फेरस जैसे पदार्थों का बना है जिसका भार तथा घनत्व काफी ज्यादा है अर्थात कोर का घनत्व 11 है तो केवल दबाव के चलते नही है क्योंकि प्रत्येक चट्टान की एक सीमा होती है कि दबाव कितना भी बढ़ाया जाये लेकिन घनत्व नहीं बढ़ सकता है |
2-ज्वालामुखी की क्रिया द्वारा –
भूकम्प विज्ञान के पहले ज्वालामुखी क्रिया द्वारा भी पृथ्वी की आंतरिक संचरना के विषय में कुछ निष्कर्ष निकाले गये थे | ज्वालामुखी क्रिया के दौरान मैग्मा निकलता है जिसे हम लावा कहते हैं |
जब ज्वालामुखी प्रक्रिया होती है तो धरती फटती है और पृथ्वी के अन्दर से लावा निकलता है जोकि तरल अवस्था में रहता है | तो यह माना गया है कि पृथ्वी के अन्दर कोई न कोई ऐसी परत है जोकि तरल अवस्था में रहती है| परन्तु समस्या यह हुई कि पृथ्वी में नीचे की ओर जाने पर दबाव इतना बढ़ता जाता है कि वह दबाव पृथ्वी के भीतर किसी भी परत को तरल अस्व्था में नहीं रहने देगा अतः यह मान्यता भी आधारहीन हो गयी कि पृथ्वी के भीतर कोई ऐसी परत है जोकि तरल अस्व्था में रहती है| अतः यह निष्कर्ष निकला कि पृथ्वी के आंतरिक भाग की परत ठोस है न कि तरल |
पृथ्वी की आतंरिक संरचना शल्कीय (अर्थात परतों के रूप में) है, जैसे प्याज के छिलके परतों के रूप में होते हैं। इन परतों की मोटाई का सीमांकन रासायनिक अथवा यांत्रिक विशेषताओं के आधार पर किया जा सकता है।
पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत भूपर्पटी एक ठोस परत है, मध्यवर्ती मैंटल अत्यधिक गाढ़ी परत है और बाह्य क्रोड तरल तथा आतंरिक क्रोड ठोस अवस्था में है।
पृथ्वी की आतंरिक संरचना के बारे में जानकारी के स्रोतों को दो हिस्सों में विभक्त किया जा सकता है। प्रत्यक्ष स्रोत, जैसे ज्वालामुखी से निकले पदार्थो का अध्ययन, समुद्रतलीय छेदन से प्राप्त आंकड़े इत्यादि, कम गहराई तक ही जानकारी उपलब्ध करा पाते हैं। दूसरी ओर अप्रत्यक्ष स्रोत के रूप में भूकम्पीय तरंगों का अध्ययन अधिक गहराई की विशेषताओं के बारे में जानकारी देता है।