project on matdan Kendra ka Drishya
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मतदान केंद्र का दृश्य
पिछले दिनों मुझे पहली बार मतदान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ये मेरा पहला मतदान था। मैं बड़ा रोमांचित हो रहा था कि वोट कैसे देते हैं, मतदान केंद्र कैसा होता है। इसी उत्सुकता में सुबह आठ बजे ही घर से मैं वोट देने के लिये निकल लिया। जब मतदान केंद्र पहुंचा तो देखा वहां पहले से ही भीड़ लगी हुई थी। हमारे घर से थोड़ी सी ही दूर पर स्थित एक बड़ी सरकारी इमारत में मतदान केंद्र स्थापित किया गया था। उस इमारत में दस कमरों को मतदान कक्ष बनाया गया था। जिनमें वार्डों के हिसाब से मतदान क्षेत्रों को बांटा गया था। मतदान केंद्र के बाहर अलग-अलग पार्टियों के कार्यकर्ता मेज और कुर्सी लेकर बैठे थे और मतदान करने आ रहे लोगों को अपने पास रखे कागजों में से सूची में उनका नाम देखकर पर्चियां आदि बांट रहे थे। कुछ कार्यकर्ता फूल आदि लेकर खड़े थे और मतदान करने आने वाले व्यक्तियों को एक फूल देकर शुभकामनायें देते। मैं भी अपने वार्ड वाले कक्ष की लाइन में लग गया और अपनी बारी आने पर बड़े रोमांच और खुशी के साथ मैंने मतदान किया।
मतदान केंद्र के बाहर ही कुछ फेरीवाले वाले अपना खाने-पीने का सामान बेचने में लगे थे। इमारत में हर कमरे के आगे लोग लाइन लगाए बेसब्री से अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। हर राजनीतिक ने अपनी तरफ से हर कक्ष में एक एजेंट नियुक्त कर रखा था जो पड़ने वाले मतदान की गणना लिखता जाता था। बाहर मैदान में लोगों को धूप से बचाने के लिये पंडाल लगाया गया था। वहां पानी का भी इंतजाम था। वहां पर कुछ लोग अलग-अलग समूहों में खड़े किसकी सरकार बननी चाहिये इस पर अपने विचार रख रहे थे। ये वो लोग थे जिन्होंने स्वयं तो मतदान कर दिया था पर उनका कोई न कोई साथी मतदान की लाइन में खड़ा था। अपने साथी के इंतजार में ये लोग बातचीत में मशगूल थे।
कुल मिलाकर मतदान केंद्र का ये दृश्य बड़ा ही अनोखा था। इस दृश्य को देखकर मुझे अपने देश की लोकतांत्रिक परंपरा पर गर्व हो गया।