prvas ka jangadna pr kya asar padta h
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19 नवंबर, 2019. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि 2021 की जनगणना 16 भाषाओं में होगी. उन्होंने ये भी बताया कि जनगणना की पूरी प्रक्रिया में करीब 8754.23 करोड़ का खर्च आएगा. इस बार डेटा कलेक्शन दो चरणों में किया जाएगा. अप्रैल से सितंबर, 2020 तक हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस. और 9 से 28 फरवरी, 2021 तक जनगणना यानी लोगों की गिनती होगी. इसके बाद 1 मार्च से 5 मार्च के बीच जमा हुए डेटा की प्रोसेसिंग होगी.
लेकिन ये जनगणना होती क्यों है? कब होती है और इसकी पूरी प्रोसेस क्या है? इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे, आसान भाषा में.
जनगणना को अंग्रेज़ी में सेंसस कहते हैं. आज़ाद भारत में पहली जनगणना 1951 में हुई. उसके बाद हर दस साल में जनगणना होती है. आपने सुना होगा सेंसस 2001, सेंसस 2011. और सोचा भी होगा इतने लोग पैदा होते हैं हर साल, इतनी जानें जाती हैं. ऐसे में तो हर साल सेंसस होना चाहिए. लेकिन जनगणना में सिर्फ लोगों की गिनती नहीं होती, इसके जरिए लोगों की आर्थिक स्थिति, उनकी शिक्षा, घर और घरेलू सुविधाएं, जन्म दर, मृत्यु दर, भाषा, धर्म, जाति, अलग-अलग इलाकों में पलायन जैसी कई जरूरी जानकारियां इकट्ठी की जाती हैं. इसमें टाइम तो लगता ही है, इसमें खर्च भी बहुत होता है. इसलिए 10 साल में एक बार जनगणना होती है
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