pustak ki aatmakatha in hindi essay
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मैं पुस्तक हूं जिसे पढ़कर कोई भी मनुष्य विद्वान बनता है। मैं इंसान को अंधकार से उजाले की ओर ले जाने का काम करती हूं। मेरे कारण ही कोई भी मनुष्य सभ्य बन पाता है और अपने राष्ट्र के लिए कुछ कर पाता है। मुझमें लिखा हुआ ज्ञान ही मनुष्य को आज इतना आधुनिक बना पाया है।
Pustak ki Atmakatha in Hindi
Pustak ki Atmakatha in Hindi
छोटे बच्चे अपनी जिंदगी में ज्ञान प्राप्त करने की शुरुआत मुझसे ही करते हैं और समय के साथ साथ वे ज्ञानी होते जाते हैं। बाद में यही बच्चे बड़े होकर अपने राष्ट्र की प्रगति में भागीदार बनते हैं।
मुझे सिर्फ छोटे बच्चे ही नहीं बल्कि सभी उम्र के लोग पढ़ते हैं क्योंकि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है। काफी लोग मुझे सिर्फ शौक के कारण पढ़ते हैं ताकि मैं अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकें।
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