Hindi, asked by Shazuchamp175, 6 months ago

Pustak tatha pustakalay per essay

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Answered by anu4248
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Answer:

पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ विभिन्न प्रकार के ज्ञान, सूचनाओं, स्रोतों आदि का जमावड़ा(संग्रह) रहता है। पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी [library] शब्द का हिंदी रूपांतर है। लाइबेरी शब्द की उत्पत्ति लेतिन शब्द ‘ लाइवर ‘ से हुई है, जिसका अर्थ है पुस्तक। पुस्तकालय का इतिहास लेखन प्रणाली पुस्तकों और दस्तावेज के स्वरूप को संरक्षित रखने की पद्धतियों और प्रणालियों से जुड़ा है। पुस्तकालय यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- पुस्तक + आलय। पुस्तकालय उस स्थान को कहते हैं जहाँ पर अध्ययन सामग्री (पुस्तकें, पत्रपत्रिकाएँ, मानचित्र, हस्तलिखित ग्रंथ, एव अन्य पठनीय सामग्री) संगृहीत रहती है और इस सामग्री की सुरक्षा की जाती है। पुस्तकों से भरी अलमारी अथवा पुस्तक विक्रेता के पास पुस्तकों का संग्रह पुस्तकालय नहीं कहलाता क्योंकि वहाँ पर पुस्तकें व्यावसायिक दृष्टि से रखी जाती हैं।

मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है। मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है। इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है। लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है। इसलिए स्कूल कालेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं। जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके।

पुस्तकालय के दो भाग होते हैं। वाचनालय तथा पुस्तकालय। वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है। यहां से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है। पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डार ग्रह होता है। पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है।

भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है। नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे। मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई। दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएं हैं। इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है। पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं। एक ओर जहां वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं। हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है। पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती है। इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं। कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता है। सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है। इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई। पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर। यहां हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं। विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है।

पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कालेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं। दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं। ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं। तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं। चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं। इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं।

इनके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों व सरकार द्वारा सचल पुस्तकालय सेवाएं चलाये जा रहे हैं। यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं। हमारा युग ज्ञान का युग है। वर्तमान में ज्ञान ही ईश्वर है व शक्ति है। पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है। विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है।

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