Pustakalya pr anuched
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ज्ञान की देवी माता सरस्वती की उपासना के लिए दो मंदिर हैं- एक विद्यालय और दूसरा पुस्तकालय । विद्यालय में हम गुरु के चरणों में बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं और पुस्तकालय में बैठ कर मौन अध्ययन करते हैं ।
पुस्तकालय का अर्थ है- पुस्तक+आलय अर्थात पुस्तकें रखने का स्थान । पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं । स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में पुस्तकालय होते हैं । इनसे छात्र और अध्यापक दोनों लाभ उठाते हैं । दूसरे प्रकार के पुस्तकालय व्यक्तिगत होते हैं । कुछ स्थानों पर सरकारी पुस्तकालय भी होते हैं । पब्लिक पुस्तकालय भी होते हैं ।
पांचवे प्रकार के पुस्तकालय चल-पुस्तकालय होते हैं । इन पुस्तकालयों का स्थान विशेष बस या गाड़ी में होता है । सबसे बड़ा पुस्तकालय अमेरिका में है जिसमें चार करोड़ से अधिक पुस्तकें हैं । भारत में कलकत्ता में सबसे बड़ा पुस्तकालय है जिसमें दस लाख पुस्तकें हैं । पुस्तकालयों के अनेक लाभ हैं ।
सभी पुस्तकों को खरीदना हर किसी के लिए सम्भव नहीं है । इसके लिए लोग पुस्तकालय का सहारा लेते हैं । इन पुस्तकालयों से निर्धन व्यक्ति भी लाभ उठा सकता है । पुस्तकालय से हम अपनी रूचि के अनुसार पुस्तकें प्राप्त कर सकते हैं । वास्तव में आर्थिक उन्नति के साथ साथ बौद्धिक उन्नति का होना भी जरुरी है ।
पुस्तकालय
पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर।पुस्तकालय दो शब्दो से मिलकर बना है पुस्तक + आल्य जिसमें पुस्तक का अर्थ है किताब और आल्य का अर्थ है घर। जो संयुक्त रूप से पुस्तकों का घर होगा ।
पुस्तकालय सरस्वती देवी की आराधना का मंदिर है. यहां आराधना करके आराधक वीणापानी सरस्वती का प्रत्यक्ष दर्शन करता है. यह ज्ञान प्राप्ति में सहायक होता है. इसी कारण व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र तीनों के लिए महत्वपूर्ण है. पुस्तकें ज्ञान प्राप्ति का सर्वोत्तम साधन है. इनसे मनुष्य के ज्ञान का विकास होता है तथा उनका दृष्टिकोण व्यापक होता है. उनकी बुद्धि और विचार क्षमता में वृद्धि होती है. एक ज्ञानी व्यक्ति ही समाज एवं राष्ट्र के साथ साथ मानवता का कल्याण कर सकता है जो प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है.
एक व्यक्ति अपनी रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार पुस्तक खरीद नहीं सकता. कोई भी व्यक्ति आर्थिक रूप से इतना सशक्त नहीं होता कि वह मनचाही पुस्तक खरीद सके. अनेक बार पैसा जुटा लेने पर पुस्तके प्राप्त नहीं होती है क्योंकि उनमें से कुछ का प्रकाशन बंद हो चुका होता है और उनकी प्रतियां भी दुर्लभ हो जाती है. पुस्तकालय में जिज्ञासु अपनी आवश्यकता एवं प्रयोजन के अनुसार सभी पुस्तकों को प्राप्त कर लेता है तथा उनका अध्ययन करता है. अतः ज्ञान प्राप्ति के क्षेत्र में पुस्तकालय का महत्व अत्यधिक है.