pustako ki upyogita par nibandh
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किताब हमारे जीवन में हमारे सच्चे दोस्त हैं। वे हमें अखंड ज्ञान देते हैं। हम पाठशाला जाते हैं और नए नए विषयों की जानकारी पाते हैं। कुछ बातें समझ में आती हैं और कुछ तो हमें ठीक ठीक नहीं समझ पाते। फिर सारे विषय को अच्छी तरह से समझ कर उनमें प्रवीणता पाने के लिए किताबों की जरूरत पड़ती है। पाठ सिखाने वाले तो अपनी तेजी और ढंग से सिखाते हैं। लेकिन पुस्तकों को हम अपने ढंग से और दो या तीन बार पढ़ सकते हैं, ताकि हम बातें पूरी तरह से समझें ।
जो लोग हमें सिखाते हैं और हमें सलाह देते हैं, वे हमारे साथ हमेशा नहीं रहते। लेकिन किताबें हमेशा हमारे साथ होते हैं। जब भी हमें कुछ संदेह हो या हमें कुछ जानना हो तो फिर अपनी किताबें पढ़ सकते हैं।
आजकल तो हर दिन नई तकनीक और विषयों में अनुसंधान दुनिया को आगे बढ़ा रहे हैं । फिर तो इन्हें जानकर अपने आप को आगे दुनिया के साथ बढ़ाने के लिए, हम को उचित पुस्तकों की जरूरत पड़ती है।
किताबें कुछ महंगी भी होती हैं, लेकिन वे उस मूल्य के लायक होती हैं। पुस्तक हमें वो देते हैं जो पैसे नहीं दे सकते। दुनिया में लोग दो लोगों को गौरव देते हैं, अमीर लोग और ज्ञानी । और ज्ञान पाने के लिए हमें गुरु और पुस्तक दोनों की जरूरत पड़ती है।